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Saturday, August 27, 2016
Wednesday, August 24, 2016
हे प्रभु। सारा संसार ही तेरा परिवार है।
हे प्रभु। सारा संसार ही तेरा परिवार है।
हे जगत के नियन्ता जगदीश्वर। हे नारायण। हे शुद्ध, बुद्ध, मुक्तस्वभाव। हे जन्म और जीवन देने वाले परमपिता परमात्मा। हम सभी भक्तों का श्रद्धा भरा प्रणाम आपके श्रीचरणों में स्वीकार हो। हे प्रभु। सारा संसार ही तेरा परिवार हे, तेरे चरणों में आनंद का वास हे , सभी के ह्रदयों में आपका निवास है।हे प्रभु। जिस मेधा बुद्धि को हमारे पूर्ववर्त्ती ज्ञानी-ध्यानी तथा योगीजनों ने प्राप्त किया और अपना कल्याण किया उसी विशेष बुद्धि को आप हमें प्रदान करें।हे प्रभु हमें वह बुद्धि दो जिसके द्वारा हम सन्मार्ग पर चलकर आदर्श को धारण कर सकें तथा दोषों का परित्याग करें। हे प्रभु। हमारे बुद्धि के रथ को आप हांकने वाले बनें। हम सदैव अच्छा विचारें, अच्छे योजनाएं बनाएं, अच्छे हो जाएँ और संसार को सुंदर बना सकें। खुद तरें और औरों को भी तारें। हे दाता हमारी यही विनंती हे, इसे आप स्वीकार कीजिए।
हे जगत के नियन्ता जगदीश्वर। हे नारायण। हे शुद्ध, बुद्ध, मुक्तस्वभाव। हे जन्म और जीवन देने वाले परमपिता परमात्मा। हम सभी भक्तों का श्रद्धा भरा प्रणाम आपके श्रीचरणों में स्वीकार हो। हे प्रभु। सारा संसार ही तेरा परिवार हे, तेरे चरणों में आनंद का वास हे , सभी के ह्रदयों में आपका निवास है।हे प्रभु। जिस मेधा बुद्धि को हमारे पूर्ववर्त्ती ज्ञानी-ध्यानी तथा योगीजनों ने प्राप्त किया और अपना कल्याण किया उसी विशेष बुद्धि को आप हमें प्रदान करें।हे प्रभु हमें वह बुद्धि दो जिसके द्वारा हम सन्मार्ग पर चलकर आदर्श को धारण कर सकें तथा दोषों का परित्याग करें। हे प्रभु। हमारे बुद्धि के रथ को आप हांकने वाले बनें। हम सदैव अच्छा विचारें, अच्छे योजनाएं बनाएं, अच्छे हो जाएँ और संसार को सुंदर बना सकें। खुद तरें और औरों को भी तारें। हे दाता हमारी यही विनंती हे, इसे आप स्वीकार कीजिए।
Monday, August 22, 2016
हे प्रभु हमारा ह्रदय आपके श्री चरणों से जुडे रहें
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परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
हे प्रभु हमारा ह्रदय आपके श्री चरणों से जुडे रहें
हे जीवन के आधार। सुख स्वरूप सचिदानंद परमेशवर। समस्त संसार में आपने अपनी कृपाओं को बिखेरा हुआ है। हमारा क्षद्धा भरा प्रणाम आपके श्रीचरणों में स्वीकार हो। हे प्रभु। जब हम अपने अंतर्मन में शान्ति स्थापित करते हैं तब हमारे अन्त:स्थ में आपके आनन्द की तरंगें हिलोरें लेने लगती हैं और हमारा रोम-रोम आनन्द से पुलकित होने लगता है। जिससे हमारा व्यवहार रसपूर्ण और प्रेमपूर्ण हो जाता है। हे प्रभु! हमारा ह्रदय आपसे जुडा रहे, हम पर आपकी कृपा बरसती रहे, हमारा मन आपके श्रेचार्नोनें लगा रहे, यह आशीर्वाद हमें अवश्यदो ताकि हम पर हर दिन नया उजाला, नई उमंगें, नया उल्लास लेकर जीवन के पथ पर अग्रसर हो सकें ! ऐसी हमारे ऊपर कृपा कीजिए। हे दयालु दाता। हमें ऐसा आशीर्वाद दीजिए कि हम प्रत्येक दिन को शुभ अवसर बना सकें। प्रत्येक दिन की चुनौती का सामना करने के लिए हमें ऐसी शक्ति प्रदान कीजिए कि जिससे हम संघर्ष में विजयी हों। हमारे द्वारा संसार में कुछ भी बुरा न हो, प्रेमपूर्ण वातावरण में श्वास ले सकें तथा प्रेम को संपूर्ण संसार में बाँट सकें। हे प्रभु! हमें यह शुभाशीष दीजिए। यही आपसे हमारी विनती है, यही याचना है। इसे स्वीकार कीजिए।
Thursday, August 18, 2016
आप क्या बोलते
Wednesday, August 17, 2016
Thursday, August 11, 2016
Tuesday, August 9, 2016
आपका वास्तविक
आपका वास्तविक रूप है शान्ति। हर पल शान्ति में, प्रसन्न्ता में बिताने की कोशिश करें ।
परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
गुण बहुत दुर्लभ हैं
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परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
- गुण बहुत दुर्लभ हैं , धन में पवित्रता , दान में विनय , वीरता में दया और अधिकार में निराभिमानता !
- पूज्य सुधांशुजी महाराज्
जैसे दिन को सजाता
जैसे दिन को सजाता है सूर्य और रात को सजाता है चाँद, वैसे ही मानव जीवन को सौंदर्य से युक्त करने का काम सदगुरु करते हैं ।
गुरु है और जिन्दगी शुरु है।
गुरु है और जिन्दगी शुरु है।
Monday, August 8, 2016
Saturday, August 6, 2016
जहां भी त्याग की
जहां भी त्याग की भावना होगी उस में पैदा होगा प्रेम ,और प्रेम ही वह बंधन जो संसार को बांधे हुए हे ,प्रेम ही वह धुरी है जिस पर संसार टिका हुआ हे ! इस लिए हमेशा त्याग की भावना अपने अदंर रखो , स्वार्थी मत् बनो !
Friday, August 5, 2016
मोती ग्यान के
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परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
मोती ग्यान के
जीतने के लिये प्रेम जीतो !
जीतने के लिये प्रेम जीतो !
पीने के लिये क्रोध पीयो !
खाने के लिये गम खाओ !
देने के लिये दान दो !
लेने के लिये ग्यान लो !
कहने के लिये सत्य कहो !
रखने के लिये इज्जत रखो !
फेंकने के लिये ईर्ष्या फेंको !
छोडने के लिये मोह छोडो !
दिखाने के लिये दया दिखाओ !
श्रद्धा स्मारिका २००८ थाने मण्डल
खाने के लिये गम खाओ !
देने के लिये दान दो !
लेने के लिये ग्यान लो !
कहने के लिये सत्य कहो !
रखने के लिये इज्जत रखो !
फेंकने के लिये ईर्ष्या फेंको !
छोडने के लिये मोह छोडो !
दिखाने के लिये दया दिखाओ !
श्रद्धा स्मारिका २००८ थाने मण्डल
जो हम पाना
जो हम पाना चाह्ते है उसका कारण कर्म में छिपा है। अच्छा कर्म करने से अच्छाफल पाया जा सकता है।
Thursday, August 4, 2016
मानव जीवन अनमोल है
Tuesday, August 2, 2016
यदि किसी का प्रिय
Monday, August 1, 2016
जीवन के अन्तिम
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