welcome tohealthybestrong,blog

you are welcome to healthybestrong,blog

please visit upto end of this blog.

adsense code

google blog Search

Tuesday, December 1, 2009

दोहे -१०


  • 87*काम करते चलो नाम जपते चलो !
    हर समय शिव का ध्यान धरते चलो !
    नाम धन का खज़ाना बढाते चलो !
    प्रेम से तुम प्रभू को रिझाते चलो !
    अपने मन को सुमार्ग पर चलाते चलो !

  • 88*किसी दिन देखना ,तुम्हें ऐसी नीद आएगी !
    तुम सोए जग नहीं पाओगे ,दुनिया तुम्हें जगाएगी!!

  • 89*सुमिरन सुरति लगाय के ,मुख से कुछ न बोल !

    बाहर के पट देय के , अन्दर के पट खोल !!

  • 90*सही रूप उभरेगा उस दिन मानव के उथान का !
    जिस दिन होगा मिलन विश्व में धर्म और विज्ञान का !
    स्वार्थ नहीं परमार्थ बनेगा ,चरम लक्ष्य जग में जन जन का !
    ईर्श्या-द्वेष कलह हिंसा से कलुषित क्षेत्र न होगा मन का !
    प्रिमार्जन पुरुषार्थ करेगा ,बिगडे भाग्य विधान का !
    जिस दिन होगा मिलन विश्व में धर्म और विज्ञान का !

  • 91*बदऊं गुरु पदुम परागा !
    सुरुचि सुबास सरस अनुरागा !
    अमिअ मूरिम चूरन चारू !
    समन सकल भव रुज प्रिवारू !

  • 92*भव्सागर सब सूख गयो हे !
    फिकर नहीं मोहे तरनन की!
    मोह्र लागी लगन गुरु चरनन की !

  • 93*गुरु शब्ध का अर्थ ,
    अति गुह्य बतलाते हें !
    गुरु की यदि कृपा हो तो ,
    अधम व्यक्ति तर जाते हें !!
    94*जीवन क्या हे ?निर्झर हे ,मस्ती ही उसका पानी हे !

    सुख दुख के दो किनारों से ,चल रहा मन मानी हे !

  • 95*साधु कुछ नहीं मांगते उदर समाता लेय !
    आगे पीछे राम हैं जब मांगे तब देय !!

  • 96*खुशी के गीत सदा गाओ ,
    सत्कर्म सुमन से धरती महकाओ !
    ईश्वर ने कितना कुछ तुम्हें बख्शा ,
    मानव ! तुम सन्तुष्ट होकर दिखलाओ !!

  • 97*बकरी जो में में करे ,
    गले छुरी चलवाए ,
    दे कर जो में न कहे ,
    सब के मन को भाए !

  • 98*एक भरोसा एक पक्ष ,
    एक आस एक विश्वास ,
    एक राम एक घन्श्याम हे ,
    चातक तुलसीदास !

  • 99*रहिमन धागा प्रेम का
    मत तोडो चटकाय!
    टूटे से फिर न जुडे ,
    जुडे गांठ पड जाए !

Sunday, November 29, 2009

join this group



Subscribe to Deciples-of-Sudhanshujimaharaj




Powered by us.groups.yahoo.com


Saturday, November 21, 2009

दोहे-१०



  • 82*चलो प्रभू की नगरिया दुनिया से नाता तोड्के !
    पेट पकड्कर मैया रोए , बांह पकडकर भैया!
    पैर पकड कर छोडत नाहीं , रो-रोकर कह रही तिरया !
    कहाँ जाते हो अकेले सइया ,धोली चुनरिया ओढके !
    चलो प्रभू की नगरिया दुनिया से नाता तोड्के !

  • 83*डूबतों को बचा लेने वाले , मेरी नैया हे तेरे हवाले !
    नैया पडी मंझदार ,गुरु बिन कैसे लागे पार !

  • 84*इक तेरी दया का दान मिले ,ऐक तेरा सहारा मिल जाए !
    भवसागर में बहती मेरी नैया को , किनारा मिल जाए 1

  • 85*मेरा नाथ तू हे ,मेरा नाथ तू हे !
    नहीं में अकेला , मेरे साथ तू हे !
    मेरा राम तू हे ,मेरा श्याम तू हे !
    मेरी जिन्दगी की ,सुबह-शाम तू हे !

  • 86*हे नाथ अब तो ऐसी कृपा हो ,
    जीवन निरर्थक जाने न पाए !

दोहे-९

      


  74*न खुदा ही मिला , न विसाले सनम !
            न इधर के रहे , न उधर के रहे !!


  • 75*पास रहता हूँ तेरे सदा !
    तू नहीं देख पाए तो में क्या करूँ !!

  • 76*भरोसा कर तू ईश्वर पर , तुझे धोका नहीं होगा !
    यह जीवन बीत जाएगा , तुझे रोना नहीं होगा !!

  • 77*जिन्दगी का सफर करने वाले ,
    अपने मन का दिया तो जला !

  • 78*प्रेम बिना जो भक्ति हे , सो नित दम्भ विचार !
    उदर भरत् के कारन , जन्म गंवाए सार !!

  • 79*हे -री मैने लिया गोविंन्द मोल ,
    कोई कहे महगा, कोई कहे सस्ता ,
    में ने लिया तराजू तोल !!

  • 80*मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरा न कोई !!
  • 81*ऐसी लागी लगन ,मीरा हो गई मगन ,
    वह तो गली गली हरि गुण गाने लगी !!

Friday, November 20, 2009

दोहे-८




71*घृत नया धान पुराना घर कुलवन्ती नार !
आंगन में बालक खेल्रे स्वर्ग निशानी जान !!


72*रूखा भोजन कर्ज सिर पर कुलक्षणी नार !
आवत का आदर नहीं नरक निशानी जान !!

73*पहला सुख निरोगी काया ,दूजा सुख घर में हो माया !
तीजा सुख पुत्र आग्याकारी,चौथा सुख पतिव्रता नारी !
पांचवां सुख राज्य विपासा ,छठा सुख सुस्थान निवास !
सातवाँ सुख विद्या फलदाता ये सातों सुख रचे विधाता !

Thursday, November 19, 2009

दोहे -७

55*हजारों महफिले होंगी,हजारों कारवा होंगे !
जमाना हम को ढूढेगा न जाने हम कहां होंगे !!


56*दुनिया में खूब कमाया क्या हीरे क्या मोती !
पर क्या करें यारो कफन में जेब नहीं होती !!

57*दुनिया में हूं दुनिया का तलबगार नहीं हूं !
बाजार से गुजारा हूँ पर खरीदार नहीं हूँ !!

58*कबीर खडा बाजार में सब की माँगें खैर !
ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर !

59*झुके तेरे आगे वह सर मांगता हूं ,
तुझे देखने की नजर मांगता हूं !
न घर मांगता हूं न जर मांगता हूं ,
न हो जाऊं बेसुध जलवे में तेरे ,
ईलाही में ऐसी नजर मांगता हूं !

60*मिटा दे अपनी हस्ती को गर मर्तबा चाहे!
कि दाना खाक में मिल गुलो-गुलजार होता हे !!

61*रहिमन विपदा हू भली,जो थोडे दिन होय !
हित अन्हित या जगत में ,जान परे सब कोय !!

62*जिन दिन देखे वे सुमन ,गई सो बीती बहार !
अब अलि रहि गुलाब में लिपट कटीली डार !!
लगता नहीं दिल मेरा ,उजडे ब्यार में!

63*उमरे दराज मांग कर लाए चार दिन,
दो आरजू में कट गये दो इंतजार में !
इतना हे बदनसीब जफर दफन के लिए,
दो गज जमीन भी न मिलि कुंएयार में !

Tuesday, November 17, 2009

दोहे -६

48 *मेघा बरस बरस रसवारि !
नदी सरोवर सागर बरसे लागे झरिया भारी !
मेरे आंगन क्यों न बरसे में क्या बात बिगारी !!
मेघा बरस बरस रसवारि
तुम बरसो में जी भर नहाऊँ दोनो हाथ पसारी !!
49*एक हूक सी दिल में उठती हे ,एक दर्द सा दिल में उठता हे !
हम रात में उठ कर रोते हें , जब सारा आलम सोता हे !
50*सांई इतना दीजिए जामें कुटुम्ब समाय !
में भी भूखा न रहूं साधू न भूखा जाय !!
51*झुके तेरे आगे वह सर माँगता हूं ,
तुझे देखने की नज़र माँगता हूं !
न घर मांगता हूं न ज़र माँगता हूं ,
न हो जाऊँ बेसुध जलवे से तेरे ,
इलाही मैं ऐसी नज़र माँगता हूं !
52* ओरों का पिया परदेस बसत हे लिख लिख भेजें पात्ती!
मेरे पिय हृदय मे बसत हें गूँज करे दिन राती !
53*कबीरा हँसना बंद कर ,रोने से कर प्रीत !
रोकर ही पाइये प्रेम पियारा मीत !!
54*तुझ संग अरदास हमारी जिओ पिन्ड सब तेरा ,
कहा नानक सब तेरी बडिया कोई नाम न जाने मेरा !!

दोहे-५

37 *तेरा जलवा जहां होगा ,
मेरा सजदा वहां होगा !
38 *मेरे जैसे तो लाखों होंगे ,
पर तेरे जैसा प्यारा कहां होगा !!
39 *बाह छिडाय जात हो ,निरबल जान के मोहे,
हृदय से जाओगे सबल गिनूंगा तोहे !
40 *करवट भला न लागत तोरी ,
हात पकड सुन विनती मोरी !
41 *तुम ने दिया देश को जीवन ,
देश तुम्हें क्या देगा ,
अपनी आग बुझाने को ,
नाम तुम्हारा लेगा !!

42 *"आदमी का जिस्म है क्या, जिस पर शैदा है जहाँ ,
एक मिट्टी की इमारत , एक मिट्टी का मकां,
खून का गारा बना ,ईंट जिसमें हड्डियाँ ,
चंद शवासों पर खडा हे यह खयाले आशियां ,
मौत की पुर जोर आँधी जब इससे टकरायगी ,
देख लेना यह इमारत खाक में मिल जायेगी "
43 *भक्ति की सुधि यों करो जैसे कामी काम!
कह कबीर बिसरत नहीं निसदिन आठों वाम !!
44 *भक्ति की सुध यों करो जैसे दाम कंगाल !
कह कबीर विसरत नहीं , पल पल लेत समहाल !!
45 *आये सो जायेंगें राजा रंक फकीर !
ऐक सिंहासन चढि चले ऐक बंधे जंजीर !!
46 *भव सागर में बही जात हूं ,काढो तो थारी मरजी,
या सागर सगा न कोई ,सांचा सगा रघुवरजी !
47 *पिता और कुटुम्ब कबीला ,सब मतलब के गरजी,
मीरा की प्रभू अरजी सुन लो ,चरण लगाओ थारी मरजी !1

Monday, November 16, 2009

दोहे-4

  • ३० *कबीर मन निरमल भया ,जैसे गंगा का नीर !
    पीछे पीछे हरि फिरें ,कहत कबीर कबीर !!
    ३१ *जन्नी जने तो भक्त जन ,या दाता या शूर !
    नहीं तो बांझ रहे, मत गवांवे नूर !!
    ३२ *सुख के माथे सिल पडे , नाम प्रभु का भुलाये !
    बलिहारी इस दुख की , जो पल पल नाम जपाये !!
    ३३ *मेरा मुझ में कुछ नहीं ,जो कुछ हे सब तोर !
    तेरा तुझ को सोंप कर ,क्या लागे मोर !!
    ३४ *जिन्दगी हे कशमकश ,मौत हे कामिल सकून ,
    शहर में हे शोरोशर ,मकबरा खामोश हे !
    ३५ *चलती चाकी देख कर दिया कबीरा रोय ,
    दो पाटन के बीच में बाकी बचा न कोय !!
    ३६ *कीली पासे जो रहे बाकी पिसे बलाय !

Sunday, November 15, 2009

दोहे -३

  • १९ *राम राम रटते रहो ,जब तक घट में प्राण !
    कभी तो दीन दयालू के भनक पडेगी कान !!
    २० *रात यूँ कहने लगा मुझ से गगन का चांद ,
    आदमी भी क्या अनोखा जीव हे !!
    २१ *जब में था हरी नहीं ,हरी हे में नहीं ,
    प्रेम गलि अति सांकरि या में दो न समाएं!
    २२ *चाह गयी चिंता मिटि ,मनवा बे परवाह ,
    जिसको कुछ नहीं चाहिए वही शाहों का शाह !
    २३ *देह धरि का दड हे ,सब काहु को होय ,
    ग्यानी भुगते हंस हंस कर ,मूरख भुगते रोये !
    २४ *सिर मुंडाये तीन गुण ,सिर की मिट जाये खाज ,
    खाने को हल्वा मिले ,लोग कहें महाराज !
    २५ *मन के हारे हार हे , मन के जीते जीत !
    २६ *कहता हुं कहे जात हूँ, बजा बजा ढोल,
    यह श्वासा खाली जात हे तीन लोक का मोल !
    २७ *तुलसी तुलसी सब कहें , तुलसी बन की घास ,
    जब से भई कृपा राम कि ,तो बन गये तुलसी दास !
    २८ *दुनिया में हूँ ,पर दुनिया का तलब्गार नहीं हूं,
    बाजार से गुजरा हूं , पर खरीदार नही हूं !
    २९ *रहिमन धागा प्रेम का मत तोडो चटकाए !
    टूटे से फिर न जुडे ,जुडे गांठ पड जाए!!

Saturday, November 14, 2009

दोहे-2

१० *तुलसी कभी न छोडिये ,छमा सील संतोश !

११ *दया धर्म का मूल हे ,पाप मूल अभिमान
तुलसी दया न छोडिए , जब तक घट में प्राण!
१२ *गम सहकर भी मुस्कराओ दुनिया में,
होती यहां बुजदिलों की गुजर नहीं !
१३ जीने के लिए हसना भी जरूरी हे ,
रोअकर जिंदगी बसर नहीं होती !!
१४ वह चमन खाक में मिल जाया करते हें ,
जहां बागबां की पाक नजर नही होती!
अब भी वक्त हे सँभल ऐ नौजवान ,
जवानी उम्रभर साथ नहीं होती !!
१५ * हरि को तजूं में गुरु न बिसारूँ!
गुरु के सम हरि को न निहारूँ !!
१६ * जिस म्रने से जग डरे ,मेरे मन आनन्द,
और मर कर ही पाइये पूर्ण परमानन्द !
१७ *जय कल्याणी जय सुखदानी,
जय संतों की निर्मल वाणी !
क्रोध,लोभ,छल मान म्रर्दिनि,
शाशवत सुखदायनी निर्वाणी !!
१८ *सोभाग्य से घमंडी न बन ,
दुर्भाग्य से निराश न हो ,
जान बूझ कर खतरे में मत पड ,
यदि खतरा सामने आ जाये,
तो कायर बन कर उससे भाग न जा

दोहे-१

१ * प्रीति वही सराहिए ,मिले रंग होत दून !
जो हर्दी जर्दी तजे ,तजे सफेदी चून !!


२ * कोन हो तुम बसंत के दूत ,
विरस पतझड में अति सुकुमार !
घन तिमिर में चपला सी रेख ,
तपन में शीतल मंद बयार !


३ *कोई पत्ता भी टूटे तो दर्द मुझको हे नसीब !
सारे जहां का दर्द हमारे दिल में हे !!


४ *बदऊ संत चित हित अनहित न कोउ!
अंजुलिगत सुमन जेहिं सुगन्ध कर दोउ!!


५ *फागुन आता हे फूलों का त्योहार लिए ,
सावन आता हे मेघों का मल्हार लिए ,
दूहन ऐसा है संतों का जगहित जीवन ,
जब भी आता है खुशियों का उपहार लिए !!


६ *श्वास श्वास पर हरि भजो वृथा श्वास मत खोय !
न जाने या श्वास कोआवन होय न होय !!


७ *चलती चाकी देख कर दिया कबीरा रोए!
दो पाटन के बीच में बाकी बचा न कोए!!


८ *सबरी देख राम घर आए !
सुनि के बचन समुझि जिय भाए !!


९ *अजमाउंगा जमाने को अपने ही विकष में !
अगर खरा निकला तो मागूंगा खुदा बरकरार हे !
ए जमाने हम तुझ से नहीं ,हमसे तेरी पहचान हे 1
तुझे क्या पता?खुदा के भी हम महमान हें !