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Thursday, November 19, 2009

दोहे -७

55*हजारों महफिले होंगी,हजारों कारवा होंगे !
जमाना हम को ढूढेगा न जाने हम कहां होंगे !!


56*दुनिया में खूब कमाया क्या हीरे क्या मोती !
पर क्या करें यारो कफन में जेब नहीं होती !!

57*दुनिया में हूं दुनिया का तलबगार नहीं हूं !
बाजार से गुजारा हूँ पर खरीदार नहीं हूँ !!

58*कबीर खडा बाजार में सब की माँगें खैर !
ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर !

59*झुके तेरे आगे वह सर मांगता हूं ,
तुझे देखने की नजर मांगता हूं !
न घर मांगता हूं न जर मांगता हूं ,
न हो जाऊं बेसुध जलवे में तेरे ,
ईलाही में ऐसी नजर मांगता हूं !

60*मिटा दे अपनी हस्ती को गर मर्तबा चाहे!
कि दाना खाक में मिल गुलो-गुलजार होता हे !!

61*रहिमन विपदा हू भली,जो थोडे दिन होय !
हित अन्हित या जगत में ,जान परे सब कोय !!

62*जिन दिन देखे वे सुमन ,गई सो बीती बहार !
अब अलि रहि गुलाब में लिपट कटीली डार !!
लगता नहीं दिल मेरा ,उजडे ब्यार में!

63*उमरे दराज मांग कर लाए चार दिन,
दो आरजू में कट गये दो इंतजार में !
इतना हे बदनसीब जफर दफन के लिए,
दो गज जमीन भी न मिलि कुंएयार में !

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