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Saturday, November 14, 2009

दोहे-2

१० *तुलसी कभी न छोडिये ,छमा सील संतोश !

११ *दया धर्म का मूल हे ,पाप मूल अभिमान
तुलसी दया न छोडिए , जब तक घट में प्राण!
१२ *गम सहकर भी मुस्कराओ दुनिया में,
होती यहां बुजदिलों की गुजर नहीं !
१३ जीने के लिए हसना भी जरूरी हे ,
रोअकर जिंदगी बसर नहीं होती !!
१४ वह चमन खाक में मिल जाया करते हें ,
जहां बागबां की पाक नजर नही होती!
अब भी वक्त हे सँभल ऐ नौजवान ,
जवानी उम्रभर साथ नहीं होती !!
१५ * हरि को तजूं में गुरु न बिसारूँ!
गुरु के सम हरि को न निहारूँ !!
१६ * जिस म्रने से जग डरे ,मेरे मन आनन्द,
और मर कर ही पाइये पूर्ण परमानन्द !
१७ *जय कल्याणी जय सुखदानी,
जय संतों की निर्मल वाणी !
क्रोध,लोभ,छल मान म्रर्दिनि,
शाशवत सुखदायनी निर्वाणी !!
१८ *सोभाग्य से घमंडी न बन ,
दुर्भाग्य से निराश न हो ,
जान बूझ कर खतरे में मत पड ,
यदि खतरा सामने आ जाये,
तो कायर बन कर उससे भाग न जा

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