71*घृत नया धान पुराना घर कुलवन्ती नार !
आंगन में बालक खेल्रे स्वर्ग निशानी जान !!
72*रूखा भोजन कर्ज सिर पर कुलक्षणी नार !
आवत का आदर नहीं नरक निशानी जान !!
73*पहला सुख निरोगी काया ,दूजा सुख घर में हो माया !
तीजा सुख पुत्र आग्याकारी,चौथा सुख पतिव्रता नारी !
पांचवां सुख राज्य विपासा ,छठा सुख सुस्थान निवास !
सातवाँ सुख विद्या फलदाता ये सातों सुख रचे विधाता !
No comments:
Post a Comment