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Tuesday, November 17, 2009

दोहे-५

37 *तेरा जलवा जहां होगा ,
मेरा सजदा वहां होगा !
38 *मेरे जैसे तो लाखों होंगे ,
पर तेरे जैसा प्यारा कहां होगा !!
39 *बाह छिडाय जात हो ,निरबल जान के मोहे,
हृदय से जाओगे सबल गिनूंगा तोहे !
40 *करवट भला न लागत तोरी ,
हात पकड सुन विनती मोरी !
41 *तुम ने दिया देश को जीवन ,
देश तुम्हें क्या देगा ,
अपनी आग बुझाने को ,
नाम तुम्हारा लेगा !!

42 *"आदमी का जिस्म है क्या, जिस पर शैदा है जहाँ ,
एक मिट्टी की इमारत , एक मिट्टी का मकां,
खून का गारा बना ,ईंट जिसमें हड्डियाँ ,
चंद शवासों पर खडा हे यह खयाले आशियां ,
मौत की पुर जोर आँधी जब इससे टकरायगी ,
देख लेना यह इमारत खाक में मिल जायेगी "
43 *भक्ति की सुधि यों करो जैसे कामी काम!
कह कबीर बिसरत नहीं निसदिन आठों वाम !!
44 *भक्ति की सुध यों करो जैसे दाम कंगाल !
कह कबीर विसरत नहीं , पल पल लेत समहाल !!
45 *आये सो जायेंगें राजा रंक फकीर !
ऐक सिंहासन चढि चले ऐक बंधे जंजीर !!
46 *भव सागर में बही जात हूं ,काढो तो थारी मरजी,
या सागर सगा न कोई ,सांचा सगा रघुवरजी !
47 *पिता और कुटुम्ब कबीला ,सब मतलब के गरजी,
मीरा की प्रभू अरजी सुन लो ,चरण लगाओ थारी मरजी !1

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