- ३० *कबीर मन निरमल भया ,जैसे गंगा का नीर !
पीछे पीछे हरि फिरें ,कहत कबीर कबीर !!
३१ *जन्नी जने तो भक्त जन ,या दाता या शूर !
नहीं तो बांझ रहे, मत गवांवे नूर !!
३२ *सुख के माथे सिल पडे , नाम प्रभु का भुलाये !
बलिहारी इस दुख की , जो पल पल नाम जपाये !!
३३ *मेरा मुझ में कुछ नहीं ,जो कुछ हे सब तोर !
तेरा तुझ को सोंप कर ,क्या लागे मोर !!
३४ *जिन्दगी हे कशमकश ,मौत हे कामिल सकून ,
शहर में हे शोरोशर ,मकबरा खामोश हे !
३५ *चलती चाकी देख कर दिया कबीरा रोय ,
दो पाटन के बीच में बाकी बचा न कोय !!
३६ *कीली पासे जो रहे बाकी पिसे बलाय !
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Monday, November 16, 2009
दोहे-4
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