welcome tohealthybestrong,blog

you are welcome to healthybestrong,blog

please visit upto end of this blog.

adsense code

google blog Search

Monday, November 16, 2009

दोहे-4

  • ३० *कबीर मन निरमल भया ,जैसे गंगा का नीर !
    पीछे पीछे हरि फिरें ,कहत कबीर कबीर !!
    ३१ *जन्नी जने तो भक्त जन ,या दाता या शूर !
    नहीं तो बांझ रहे, मत गवांवे नूर !!
    ३२ *सुख के माथे सिल पडे , नाम प्रभु का भुलाये !
    बलिहारी इस दुख की , जो पल पल नाम जपाये !!
    ३३ *मेरा मुझ में कुछ नहीं ,जो कुछ हे सब तोर !
    तेरा तुझ को सोंप कर ,क्या लागे मोर !!
    ३४ *जिन्दगी हे कशमकश ,मौत हे कामिल सकून ,
    शहर में हे शोरोशर ,मकबरा खामोश हे !
    ३५ *चलती चाकी देख कर दिया कबीरा रोय ,
    दो पाटन के बीच में बाकी बचा न कोय !!
    ३६ *कीली पासे जो रहे बाकी पिसे बलाय !

No comments:

Post a Comment