जन्म देने वाले मालिक ने जीभ तो बनाई एक, पर कान बनाए दो। दो कान इसलिए बनाए कि ज्यादा सुन लेना, लेकिन ज्यादा बोलना नहीं । जितना बोलना नाप-तोल कर ही बोलना।
जीभ के आगे भगवान ने दरवाज़ा लगाया है, इसे बन्द करने के लिए। जिन्दगी में इंसान जितना भी बुरा करता है, ज्यादातर तो बुरा इस जीभ से ही करता है। इस जीभ का प्रयोग हथियार के रुप में कभी मत करना।"
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