*चार वेद शट शास्त्र मैं ,बात मिली हैं दोए !
दुःख देने दुःख होत है ,सुख दीने सुख होए !!
*सुमिरन की सुध यों करो, जैसे दाम कंगाल !
कहे कबीर बिसरे नहीं ,पल पल ले संभाल !!
सुख के माथॆ सिल पडे ,जो नाम ह्रदय से जाए !
बलिहारी उस दुःख की ,जो पल पल नाम जप़ाए !!
दीं दुखी असहायका ,करो सदा उपकार !
जानों वेड पुराण का ,यही एक हे सार !!
धूमधाम मैं दिन गया ,सोचत हो गई सांझ !
एक घरी हरी ना भजा ,जननी जन गई बाँझ !!
मदन गोपाल गर्ग
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