परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
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Monday, November 30, 2015
Sunday, November 29, 2015
Saturday, November 28, 2015
Fwd:
🍊 शरीर में तेजी से खून बढ़ाने के घरेलु उपाय
शरीर में खून की कमी से बहुत बीमारियां लग सकती हैं। जिस वजह से इंसान कमजोर हो जाता है और उसका शरीर बीमारियों से लड़ नहीं पाता है। इसलिए महिलाओं और पुरूषों को शरीर में खून की मात्रा बढ़ाने के लिए इन आयुवेर्दिक उपायों को अपनाना चाहिए।
1. तिल और शहद
दो घंटे के लिए 2 चम्मच तिलों को पानी में भिगों लें और बाद में पानी से छानकर इसका पेस्ट बना लें। अब इसमें 1 चम्मच शहद मिलाएं और दिन में दो बार सेवन करें।
2. काफी और चाय खतरनाक
काफी और चाय का सेवन कम कर दें। एैसा इसलिए क्योंकि ये चीजें शरीर को आयरन लेने से रोकते हैं।
3.ठंडा स्नान
दो बार दिन में ठंडे पानी से नहाए और सुबह नहाने के बाद सूरज की रोशनी में बैठें।
4. अंकुरित भोजन
आप अपने भोजन में गेहूं, मोठ, मूंग और चने को अंकुरित करके उसमें नींबू मिलाकर सुबह का नाश्ता लें।
5. आम
पके आम के गुदे को मीठे दूध के साथ सेवन करें। एैसा करने से खून तेजी से बढ़ता है।
6. मूंगफली और गुड़
शरीर में खून की कमी को दूर करने के लिए मूंगफली के दानों को गुड़ के साथ चबा-चबा कर सेवन करें।
7. सिंघाड़ा
सिंघाड़ा शरीर में खून और ताकत दोनो को बढ़ाता है। कच्चे सिंघाड़े को खाने से शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर तेजी से बढ़ता है।
8. मुनक्का, अनाज, किशमिश, दालें और गाजर
मुनक्का, अनाज, किशमिश, दालें और गाजर का नियमित सेवन करें और रात को सोने से पहले दूध में खजूर डालकर उसको पीएं।
9. फलो का सेवन
अनार, अमरूद, पपीता, चीकू, सेब और नींबू आदि फलो का अधिक से अधिक सेवन करें।
10. आंवले और जामुन का रस
आंवले का रस और जामुन का रस बराबर मात्रा में मिलाकर सेवन करने से हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है।
11. टमाटर का रस
एक गिलास टमाटर का रस रोज पीने से भी खून की कमी दूर होती है। इसलिए टमाटर का सूप भी बनाकर आप ले सकते हो।
12. हरी सब्जिया
बथुआ, मटर, सरसों, पालक, हरा धनिया और पुदीना को अपने भोजन में जरूर शामिल करें।
13. फालसा
फालसे का शर्बत या फालसे का सेवन सुबह शाम करने से शरीर में खून की मात्रा जल्दी बढ़ती है।
14. लहसुन
शरीर में खून को बढ़ाने के लिए नियमित रूप से लहसुन और नमक की चटनी का सेवन करे। यह हीमोग्लोबिन की कमी को दूर करता है।
15. सेब का जूस
सेब का जूस रोज पीएं।
16. चुकंदर
चुकंदर के एक गिलास रस में अपने स्वाद के अनुसार शहद मिलाकर इसे रोज पीएं। इस जूस में लौह तत्व ज्यादा होता है।
🙏 त्रिभुवन गुप्ता, पटियाला 🙏
Thursday, November 26, 2015
कोकोनट ऑइल
+91 98220 99988: पाश्चात्यानी सांगितले तर आमचा विश्वास --आता सरकवलेला संदेश वाचा - कोकोनट ऑइल डॉ.मीना नेरुरकर गेली तीस वर्षे नारळाच्या खोबर्याला,खोबरेल तेलाला आरोग्यबाधक ठरवल्यावर त्याचे ग्रह पालटले आहेत. दिवसागणिक वाढत असलेल्या अल्झायमर या रोगावर जालीम उपाय म्हणून खोबरेल तेलाला आता महत्त्व आलेले आहे. अमेरिकेत डॉक्टर पेशंटना टोस्टवर खोबरेल तेल लावून द्या असे सांगत आहेत. इतके दिवस आजूबाजूचा काहीही गंध नसलेली अल्झायमर पीडित जनता महिनाभराच्या टोस्टवरच्या खोबरेल तेलाने एकेकाळचे परिचित जग परत नव्याने ओळखायला लागलेली आहे. कोकोनट ऑइलचे भाग्य पालटायला डॉ. ब्रूस फाइफ याच्या रूपाने गॉड़ादर लाभला. अमेरिकेच्या र्होड आयलंड राज्यात राहणार्या या न्यूट्रिशनल डॉक्टरचा शेजारी पॉल सोएर्स नावाचा फिलिपिनो माणूस होता. पॉल मिरॅकल ऑइल विकायचा. आजूबाजूची फिलिपिनो जनता काहीही झाले की, त्याच्या दुकानात धावत यायची व तेल घेऊन जायची. कुतुहल म्हणून ब्रूसने एके दिवशी पॉलला विचारणा केली. पॉल म्हणाला, थायलंड वा फिलिपाइन्स देशातून नारळ आणतो, नारळाच्या डोळ्यात खिळा घालून पाणी काढतो, मग तो हातोड्याने फोडतो, आतले खोबरे किसतो, ते पाण्यात उकळत ठेवतो, पाणी आटून वर राहते ते कोकोनट ऑइल. कसल्याही व्याधीवर उपचार म्हणून देतो. डॉ. ब्रूस न्यूट्रिशनिस्ट असल्यामुळे त्याला प्रक्रिया न झालेल्या नैसर्गिक खाद्यपदार्थामध्ये रस होता. खोबर्यातून तेल काढण्याची किचकट प्रक्रिया सोपी करायला ब्रूसने खूप मदत केली. पॉलला खोबरे वाटायला मिक्सर आणून दिला. खोबर्यातून तेल काढायला द्राक्षातून वाइन काढायचा प्रेस आणून दिला. आता तेल काढणे खूप सोपे झाले. पॉलच्या सांगण्यावरून काहीही दुखत असले की, ब्रूसने चमचाभर कोकोनट ऑइल तोंडाने घ्यायला सुरुवात केली. कापलेल्या खरचटलेल्या ठिकाणी कोकोनट ऑइल लावायला सुरुवात केली. ब्रूसचे वजन कमी झाले, त्याची त्वचा तुकतुकीत दिसायला लागली.जखम पटकन भरायला लागली. ब्रूसच्या आश्चर्याला पारावर उरला नाही. इतके दिवस नारळाला का वाईट म्हणत होते याबद्दल त्याने खोलात जाऊन तपास करायला सुरुवात केल्यावर त्याला आढळून आले की, सोयाबीन इंडस्ट्रीने जगात पाय रोवण्यासाठी मुद्दामहून खोबर्याविरुद्ध अपप्रचार करायला सुरुवात केली होती. सगळे जण हार्ट ऍटॅकला घाबरतात. खोबरेल तेलात स्निग्धांश जास्त असतात व त्याने हार्ट ऍटॅक येतो, पण सोयाबीनचे पदार्थ खाल्ले तर हृदयविकार कमी होतात असा खोटा प्रचार सुरू केला. झाले. घाबरट लोकांनी हा रिपोर्ट वाचल्यावर कोकोनटचे पदार्थ खाणे कमी केले. चाणाक्ष सोयाबीन इंडस्ट्रीने स्वत:चे घोडे पुढे दामटले. ब्रूसने नारळ वापरत असलेल्या देशात जाऊन खोबरेल तेलावर संशोधन केले. खोबर्यात असतात ते Medium chain fatty acids असतात जे शरीराला हितकारक असतात. थायलंड,इंडोनेशिया फिलिपाइन्स, पॉलिनेशियन देश खोबर्यावर जगतात. त्यांच्यात हार्ट ऍटॅकचे प्रमाण जगापेक्षा खूप कमी आहे. ब्रूसने शोधाअंती खोबर्यामुळे हार्ट ऍटॅक येत नाही असे विधान केले. १९९९साली त्याने Coconut Oil miracle या नावाचे पुस्तक स्वत:च प्रसिद्ध केले. ते वाचून डॉ. मेरी न्यूपोर्ट हिने २००८ साली अल्झायमरच्या रोग्यांमध्ये कोकोनट ऑइलचा उपयोग करून पाहिला. फरक बघून तीदेखील चकीत झाली. इंटरनेटमुळे तो रिपोर्ट जगभर पसरला. डॉ. ब्रूसने एकूण १८ पुस्तके लिहिली. त्यांच्या अनेक आवृत्त्या निघाल्या. लोक एकमेकाला ही पुस्तके भेट द्यायला लागले. केस, त्वचा यावर खोबरेल तेल लावून बघायला लागले.आता अनेक तरुण मंडळी खोबरेल तेल सर्रास वापरतात. यू ट्यूबवर अनेक हेल्थ फूड डॉक्टर नारळाचे दूध कसे बिनधास्तपणे वापरावे याच्या रोज नव्या रेसिपीज देतात. माझ्या आजीच्या बटव्यात जगातल्या सगळ्या व्याधींवर अक्सर इलाज म्हणून एकच औषध होते ते म्हणजे खोबरेल तेल.परीक्षा आली की. डोकं थंड राहावे म्हणून ती माझ्या डोक्यावर खोबरेल तेल थापटायची, केस काळे राहावेत म्हणून आंघोळीच्या आधी डोक्याला खोबरल तेलाचा मसाज करायची, कातडी चरबरीत होऊ नये म्हणून अंगाला खोबरेल तेल चोळायची, कान दुखला तर कानात गरम खोबरेल तेलाची धार सोडायची.सर्दी झाली, डोके खाली करून नाकात गरम खोबरेल तेलाचे थेंब घालायची. ती जेव्हा ९५ व्या वर्षी गेली तेव्हा डोक्यावरचे सगळे केस शाबूत होते व काळे होते. सध्या माझी हॉर्वर्ड विद्यापीठातली हुशार मुलगी अदिती नियमितपणे खोबरेल तेल वापरते. पणजीसारखे डोक्याला अंगाला तर लावतेच, पण ब्रूसने सांगितल्याप्रमाणे रोज तीन चमचे तेल पिते. खोबरेल तेलात जेवण करते. खोबरेल तेलावर वाढूनही मी त्याचा वापर थांबवला म्हणून माझी कीव करते. कोकोनट गुरू डॉ. ब्रूसच्या अथक प्रयत्नांनी अमेरिकेतही खूप लोकप्रिय होत आहे. आता मीही न बिचकता वाटी वाटी सोलकढी पिते. आमट्या,उसळी,कालवणांना नारळाचे वाटण घालते. कोकोनट ऑइल अँटी एजिंग आहे असल्याचे रोज नवनवे रिपोर्ट बाहेर येत आहेत.😊
उनके बैर का कांटा
Fwd:
From: Madan Gopal Garga <mggarga2013@gmail.com>
Date: 2015-11-26 9:32 GMT+05:30
Subject:
To: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>
ॐ के 11 शारीरिक लाभ:
ॐ , ओउम् तीन अक्षरों से बना है।
अ उ म् ।
"अ" का अर्थ है उत्पन्न होना,
"उ" का तात्पर्य है उठना, उड़ना अर्थात् विकास,
"म" का मतलब है मौन हो जाना अर्थात् "ब्रह्मलीन" हो जाना।
ॐ सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति और पूरी सृष्टि का द्योतक है।
ॐ का उच्चारण शारीरिक लाभ प्रदान करता है।
जानीए
ॐ कैसे है स्वास्थ्यवर्द्धक
और
अपनाएं आरोग्य के लिए ॐ के उच्चारण का मार्ग...
1. ॐ और थायराॅयडः-
ॐ का उच्चारण करने से गले में कंपन पैदा होती है जो थायरायड ग्रंथि पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।
2. ॐ और घबराहटः-
अगर आपको घबराहट या अधीरता होती है तो ॐ के उच्चारण से उत्तम कुछ भी नहीं।
3. ॐ और तनावः-
यह शरीर के विषैले तत्त्वों को दूर करता है, अर्थात तनाव के कारण पैदा होने वाले द्रव्यों पर नियंत्रण करता है।
4. ॐ और खून का प्रवाहः-
यह हृदय और ख़ून के प्रवाह को संतुलित रखता है।
5. ॐ और पाचनः-
ॐ के उच्चारण से पाचन शक्ति तेज़ होती है।
6. ॐ लाए स्फूर्तिः-
इससे शरीर में फिर से युवावस्था वाली स्फूर्ति का संचार होता है।
7. ॐ और थकान:-
थकान से बचाने के लिए इससे उत्तम उपाय कुछ और नहीं।
8. ॐ और नींदः-
नींद न आने की समस्या इससे कुछ ही समय में दूर हो जाती है। रात को सोते समय नींद आने तक मन में इसको करने से निश्चिंत नींद आएगी।
9. ॐ और फेफड़े:-
कुछ विशेष प्राणायाम के साथ इसे करने से फेफड़ों में मज़बूती आती है।
10. ॐ और रीढ़ की हड्डी:-
ॐ के पहले शब्द का उच्चारण करने से कंपन पैदा होती है। इन कंपन से रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है और इसकी क्षमता बढ़ जाती है।
11. ॐ दूर करे तनावः-
ॐ का उच्चारण करने से पूरा शरीर तनाव-रहित हो जाता है।
आशा है आप अब कुछ समय जरुर ॐ का उच्चारण करेंगे। साथ ही साथ इसे उन लोगों तक भी जरूर पहुंचायेगे जिनकी आपको फिक्र है 🙏
पहला सुख निरोगी काया🙏
अपना ख्याल रखिये,खुश रहें
Fwd:
पेट के रोग और इलाज
पेट के रोग कई सारे और रोगों का कारण बन सकते हैं। क्या होते हैं पेट के रोगों के कारण और क्या है इनका इलाज? कुछ सरल उपाय जिन्हेंअपना कर हम स्वस्थ हो सकते हैं
पेट के कुछ आम रोग हैं एसिडिटी, जी मिचलाना और अल्सर। जानते हैं इनके कारणों, लक्षण, ईलाज और बचने के उपायों के बारे में। साथ ही यह भी जानते हैं कि कैसे योग अपना कर और अपनी भावनाओं में बदलाव लाकर हम इन रोगों से बच सकते हैं…
एसिडिटी
हमारे पेट में बनने वाला एसिड या अम्ल उस भोजन को पचाने का काम करता है, जो हम खाते हैं, लेकिन कई बार पचाने के लिए पेट में पर्याप्त भोजन ही नहीं होता या फिर एसिड ही आवश्यक मात्रा से ज्यादा बन जाता है। ऐसे में एसिडिटी या अम्लता की समस्या हो जाती है। इसे आमतौर पर दिल की चुभन या हार्टबर्न भी कहा जाता है। वसायुक्त और मसालेदार भोजन का सेवन आमतौर पर एसिडिटी की प्रमुख वजह है। इस तरह का भोजन पचाने में मुश्किल होता है और एसिड पैदा करने वाली कोशिकाओं को आवश्यकता से अधिक एसिड बनाने के लिए उत्तेजित करता है।
एसिडिटी के आम कारण
• लगातार बाहर का भोजन करना।
• भोजन करना भूल जाना।
• अनियमित तरीके से भोजन करना।
• मसालेदार खाने का ज्यादा सेवन करना।
• विशेषज्ञों का मानना है कि तनाव भी एसिडिटी का एक कारण है।
• काम का अत्यधिक दबाव या पारिवारिक तनाव लंबे समय तक बना रहे तो शारीरिक तंत्र प्रतिकूल तरीके से काम करने लगता है और पेट में एसिड की मात्रा आवश्यकता से अधिक बनने लगती है।
एसिडिटी से बचने के लिए क्या करें
• पानी: सुबह उठने के फौरन बाद पानी पिएं। रात भर में पेट में बने आवश्यकता से अधिक एसिड और दूसरी गैर जरूरी और हानिकारक चीजों को इस पानी के जरिए शरीर से बाहर निकाला जा सकता है।
• फल: केला, तरबूज, पपीता और खीरा को रोजाना के भोजन में शामिल करें। तरबूज का रस भी एसिडिटी के इलाज में बड़ा कारगर है।
• नारियल पानी: अगर किसी को एसिडिटी की शिकायत है, तो नारियल पानी पीने से काफी आराम मिलता है। अदरक: खाने में अदरक का प्रयोग करने से पाचन क्रिया बेहतर होती है और इससे जलन को रोका जा सकता है।
• दूध: भोजन के अम्लीय प्रभाव को दूध पूरी तरह निष्प्रभावी कर देता है और शरीर को आराम देता है। एसिडिटी के इलाज के तौर पर दूध लेने से पहले डॉक्टर से सलाह ले लेनी चाहिए, क्योंकि कुछ लोगों में दूध एसिडिटी को बढ़ा भी सकता है।
• सब्जियां: बींस, सेम, कद्दू, बंदगोभी और गाजर का सेवन करने से एसिडिटी रोकने में मदद मिलती है। लौंग: एक लौंग अगर कुछ देर के लिए मुंह में रख ली जाए तो इससे एसिडिटी में राहत मिलती है। लौंग का रस मुंह की लार के साथ मिलकर जब पेट में पहुंचता है, तो इससे काफी आराम मिलता है।
• कार्बोहाइडे्रट: कार्बोहाइडे्रट से भरपूर भोजन जैसे चावल एसिडिटी रोकने में मददगार है, क्योंकि ऐसे भोजन की वजह से पेट में एसिड की कम मात्रा बनती है।
• समय से भोजन: रात का भोजन सोने से दो से तीन घंटे पहले अवश्य कर लेना चाहिए। इससे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि भोजन पूरी तरह से पच गया है। इससे आपका स्वास्थ्य बेहतर होगा।
• व्यायाम: नियमित व्यायाम और ध्यान की क्रियाएं पेट, पाचन तंत्र और तंत्रिका तंत्र का संतुलन बनाए रखती हैं।
एसिडिटी दूर रखने के लिए किन चीज़ों से बचें
• तला भुना, वसायुक्त भोजन, अत्यधिक चॉकलेट और जंक पदार्थों से परहेज करें।
• शरीर का वजन नियंत्रण में रखने से एसिडिटी की समस्या कम होती है।
• ज्यादा धूम्रपान और किसी भी तरह की मदिरा का सेवन एसिडिटी बढ़ाता है, इसलिए इनसे परहेज करें।
• सोडा आधारित शीतल पेय व कैफीन आदि का सेवन न करें। इसकी बजाय हर्बल टी का प्रयोग करना बेहतर है। घर का बना खाना ही खाएं। जितना हो सके, बाहर के खाने से बचें।
• दो बार के खाने में ज्यादा अंतराल रखने से भी एसिडिटी हो सकती है।
• कम मात्रा में थोड़े-थोड़े समय अंतराल पर खाना खाते रहें।
• अचार, मसालेदार चटनी और सिरके का प्रयोग भी न करें।
• इलाज शरीर के अंदर उत्सर्जित हुई एसिड की ज्यादा मात्रा को निष्प्रभावी करके एंटासिड एसिडिटी के लक्षणों में तुरंत राहत प्रदान करते हैं। कुछ अन्य दवाएं हिस्टैमिन अभिग्राहकों को रोक देती हैं, जिससे पेट कम एसिड बनाता है।
जी मिचलाना और उल्टी
जी मिचलाना और उल्टी आना अपने आप में कोई रोग नहीं हैं, बल्कि ये शरीर में मौजूद किसी रोग के लक्षण हैं। जी मिचलाने में ऐसा अहसास होता है कि पेट अपने आपको खाली कर देना चाहता है, जबकि उल्टी करना पेट को खाली होने के लिए बाध्य करने का काम है। शरीर में मौजूद उस बीमारी का पता लगाना और इलाज करना आवश्यक है, जिसकी वजह से उल्टी आना या जी मिचलाना जैसे लक्षण उभर रहे हैं। मरीज को आराम पहुंचाने के साथ-साथ पानी की कमी (खासकर बुजुर्गों और बच्चों में) को रोकने के लिए भी उल्टी और जी मिचलाने के लक्षणों को नियंत्रित करना बेहद महत्वपूर्ण है।
जी मिचलाना और उल्टी के कारण
• लंबी यात्रा में पैदल चलना।
• गर्भावस्था की प्रारंभिक अवस्था।
• गर्भावस्था के 50 से 90 प्रतिशत मामलों में जी मिचलाना आम बात है।
• 25 से 55 प्रतिशत मामलों में उल्टी आने के लक्षण भी हो सकते हैं।
• दवाओं की वजह से होने वाली उल्टी।
• तेज दर्द।
• भावनात्मक तनाव या डर।
• पेट खराब होना।
• संक्रामक रोग जैसे पेट का फ्लू।
• आवश्यकता से ज्यादा खा लेना।
• खास तरह की गंध को बर्दाश्त न कर पाना।
• दिल का दौरा पडऩा।
• दिमाग में लगी चोट।
• ब्रेन ट्यूमर।
• अल्सर।
• कुछ तरह का कैंसर।
• पेट में संक्रमण की वजह से होने वाला तीव्र जठर शोथ।
• अल्कोहल और धूम्रपान जैसी पेट को तकलीफ देने वाली चीजें।
• कुछ ऐसे मामले जिनमें मस्तिष्क से आने वाले संकेतों की वजह से उल्टी आती है।
• कुछ दवाएं और इलाज।
• मल त्याग में अवरोध।
• आमतौर पर उल्टी आने का कोई नुकसान नहीं होता, लेकिन यह किसी गंभीर बीमारी का लक्षण अवश्य हो सकती है। इसके अलावा, इसकी वजह से होने वाली पानी की कमी चिंता का विषय है। पानी की कमी होने का खतरा बच्चों में सबसे ज्यादा होता है।
उल्टी में डॉक्टर की सलाह
• उल्टी के साथ अगर नीचे दिए लक्षणों में से कोई भी होता है तो आपको तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
• उल्टी के साथ खून आ रहा है। यह खून देखने में तेज लाल या कॉफी के रंग का हो सकता है।
• तेज सिरदर्द या गर्दन की जकडऩ।
• आलस, व्याकुलता या सतर्कता में कमी।
• पेट में तेज दर्द।
• 101 डिग्री फॉरेनहाइट से ज्यादा बुखार।
• डायरिया या दस्त।
• सांस या नब्ज का तेज चलना।
पेप्टिक अल्सर
पेट या छोटी आंत की परत में होने वाले घाव को पेप्टिक अल्सर कहते हैं।
अल्सर के कारण
• पेट में हेलिकोबेक्टर पायलोरी नामक बैक्टिरिया की वजह से होने वाला संक्रमण।
• डिस्प्रिन, ऐस्प्रिन, ब्रूफेन जैसी दर्दनाशक दवाएं।
• तमाम तरह के अन्य और अज्ञात कारण।
• तनाव और मसालेदार खाने से अल्सर नहीं होता, लेकिन अगर अल्सर पहले से है तो इनसे वह और ज्यादा बिगड़ सकता है।
• धुम्रपान।
• मल के साथ खून आना या मल देर से होना।
• सीने में दर्द।
• थकान।
• उल्टी, हो सकता है कि उल्टी के साथ खून भी आए।
• वजन में कमी।
अल्सर के लक्षण
• पेप्टिक अल्सर का सबसे प्रमुख लक्षण पेट में होने वाला दर्द है जो हल्का, तेज या अत्यधिक तेज हो सकता है। अपच और खाने के बाद पेट में होने वाला दर्द।
• भरा पेट होने जैसा अहसास।
• भरपूर मात्रा में तरल पदार्थ न ले पाना।
• जल्दी जल्दी भूख लगना और पेट खाली होने जैसा अहसास।
• खाना खाने के एक से तीन घंटे बाद ही ऐसा लगने लगता है।
• हल्का जी मिचलाना।
अल्सर के इलाज
• अल्सर के इलाज में एंटिबायोटिक दवाओं के साथ में पेट के एसिड को दबाने वाली दवाएं दी जाती हैं, जिनसे एच पायलोरी को नष्ट किया जा सके। जटिलताएं अल्सर की जटिलताओं में शामिल हैं खून आना, छिद्रण और पेट में अवरोध। अगर नीचे दिए गए लक्षण हैं तो फौरन डॉक्टरी मदद लें।
• पेट में अचानक तेज दर्द।
• पेट का कठोर हो जाना, जो छूने पर मुलायम लगता है।
• बेहोशी आना, ज्यादा पसीना आना या व्याकुलता।
• खून की उल्टी होना या मल के साथ खून आना।
• अगर खून काला या कत्थई है तो चिंता की बात ज्यादा है।
• राहत खानपान और जीवनशैली में बदलाव करके इसमें राहत मिलती है।
अल्सर से बचाव के कुछ तरीके:
• रेशेदार भोजन करें, खासकर फल और सब्जियां। इससे अल्सर होने का खतरा कम होता है। अगर पहले से अल्सर है तो उसके अच्छा होने में इन चीजों से मदद मिलेगी।
• फ्लेवॉनॉइड युक्त चीजें जैसे सेब, अजवायन, करौंदा और उसका रस, प्याज, लहसुन और चाय एच पायलोरी की बढ़ोतरी को रोकते हैं।
• कुछ लोगों में मसालेदार खाना खाने से अल्सर के लक्षण और बिगड़ सकते हैं।
• धूम्रपान और अल्कोहल का सेवन बंद कर दें।
• कैफीन रहित समेत सभी तरह की कॉफी कम पिएं। सोडायुक्त पेय भी कम लें। ये सभी चीजें पेट में एसिड की मात्रा को बढ़ा सकती हैं।
• योग या ध्यान क्रियाओं के जरिए खुद को विश्राम देने की कोशिश करें और तनाव कम करें। ये क्रियाएं दर्द कम करने और दर्दनाशक दवाओं की आवश्यकता को कम करने में मददगार हैं। ध्यान रखें दिल का दौरा भी अल्सर के दर्द या अपच जैसे लक्षण दे सकता है। जबड़ों के बीच के क्षेत्र में और नाभि के क्षेत्र में किसी भी तरह की दिक्कत या दर्द हो या सांस लेने में परेशानी हो तो अपने डॉक्टर से सलाह करें। बिना डॉक्टर की सलाह के अपने आप ही मेडिकल स्टोर से एंटासिड न खरीदें।
योग मदद कर सकता है
सदगुरु कहते हैं एक कहावत है, इंसान साइकोसोम या मनोकाय होता है। कई रोग मनोदैहिक होते हैं। अगर दिमाग में कोई तनाव है, तो पेट में एसिडिटी होगी। दिमाग में तनाव है तो दमा हो सकता है। उसी तनाव की वजह से अलग अलग लोगों को अलग अलग तरह के रोग होते हैं। तनाव की वजह से कौन सा रोग होगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि उस इंसान के अंदर कौन सी चीज जन्म से ही कमजोर है। शरीर और मस्तिष्क दो अलग अलग चीजें नहीं हैं। मस्तिष्क शरीर का सूक्ष्म पहलू है। आमतौर पर जब योग की बात आती है, तो हमारा ज्यादातर काम प्राणमय कोश के स्तर पर ही होता है, क्योंकि अगर हम प्राणमय कोश या ऊर्जा शरीर को पूरी तरह से सक्रिय और संतुलित कर देंगे तो अन्नमय कोश और मनोमय कोश अपने आप ही सही तरीके से संतुलित और स्वस्थ हो जाएंगे।
प्रश्न: आजकल तमाम मैनेजर और इग्जेक्युटिव वर्ग के लोग अल्सर से क्यों पीडि़त हैं ?
सद्गुरु: एक अनुमान के मुताबिक, भारत के 35 साल से ज्यादा उम्र के इग्जेक्युटिव में से 70 प्रतिशत लोग अल्सर से पीडि़त हैं। यह सामान्य है। अगर आप इग्जेक्युटिव हैं तो आपकी एक जरूरी योग्यता यह होती है कि आपको अल्सर हो, क्योंकि आप हमेशा यह देख रहे हैं कि किसी से चालाकी से काम कैसे निकाला जाता है। अगर आप कोई चीज बेचना चाहते हैं तो उसमें चालाकी की आवश्यकता नहीं है। बेचने की प्रक्रिया को शोषण का एक रूप बनाना आवश्यक नहीं है। चालाकी की आवश्यकता ही नहीं है, जब कोई शख्स किसी का ध्यान रखता है तो सब काम अपने आप ही होने लगते हैं। मान लीजिए, एक दुकान है। आप उस दुकान पर कुछ लेने जाते हैं। अगर आपको लगता है कि दुकानदार वाकई यह चाहता है कि आपको सबसे अच्छी चीज मिले, तो आप अगली बार भी उसी दुकान पर जाना चाहेंगे या आप किसी ऐसी दुकान पर जाएंगे, जहां ग्राहकों को मक्कारी भरी बातों में फंसाकर किसी भी तरह से सामान बेच दिया जाता है? आप कहां जाना पसंद करेंगे? जहां दुकानदार आपकी परवाह करता है। अगर आप बिक्री को अपने रोजगार या करियर के तौर पर न देखकर आसपास के लोगों के प्रति अपने प्रेम को जाहिर करने के तरीके के तौर पर देखते हैं, तो बिक्री का काम करते हुए भी आपको अल्सर और रक्तचाप की समस्या नहीं होगी।
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Health Benefits of Dates
The benefits of dates include relief from constipation, intestinal disorders, heart problems, anemia, sexual dysfunction, diarrhea, abdominal cancer, and many other conditions. Dates are good for gaining weight also.
Dates are rich in several vitamins, minerals and fiber too. These delicious fruits contain oil, calcium, sulfur, iron, potassium, phosphorous, manganese, copper and magnesium which are all beneficial for health. Some health specialists have said that eating one day per day is necessary for a balanced and healthy diet.
The massive health benefits of dates have made them one of the best ingredients for muscle development. People consume dates in several ways, such as mixing the paste of the dates with milk, yogurt or with bread or butter to make them even more delicious. The paste is beneficial for both adults and children, especially during a time of recovery from injury or illness.
According to a modern medical survey, it is now accepted that dates are useful in preventing abdominal cancer. Many Muslims break their fast by eating dates and water according to their cultural traditions. Breaking fast by eating dates helps avoid overeating of food after the fast is finished.
When the body begins to absorb the high nutritional value of the dates, feelings of hunger are pacified. Also, the nervous system can get a lot of help from consuming dates, since they have such significant amounts of potassium.
Dates are one of the very best sweet and versatile foods that can regulate the digestive process. It can significantly boost energy levels in people within half an hour of consuming it. The American Cancer Society recommends an intake of 20-35 grams of dietary fiber per day, which can be supplied through dates. It is also said that taking one date per a day will help you to maintain your eye health all your life. They are commonly known to be quite effective in guarding against the problem of night blindness.
Nutritional Value of Dates
Dates are a good source of various vitamins and minerals. Its a good source of energy, sugar and fiber. Essential minerals such as calcium, iron, phosphorus, sodium, potassium, magnesium and zinc are found in dates. It also contains vitamins such as thiamin, riboflavin, niacin, folate, vitamin A and vitamin K.
Health Benefits of Dates
Constipation:
Dates are often categorized as a laxative food. This is why dates are so frequently eaten by people suffering from constipation. In order to achieve the desired laxative effect of dates, you should soak them in water over night. Then, eat the soaked dates in the morning like syrup to get the most optimal results. Dates have high levels of soluble fiber, which is essential in promoting healthy bowel movements and the comfortable passage of food through the intestinal tract, which can relieve symptoms of constipation.
Bone Health and Strength:
The significant amounts of minerals found in dates make it a super food for strengthening bones and fighting off painful and debilitating diseases like osteoporosis. Dates contain selenium, manganese, copper, and magnesium, all of which are integral to healthy bone development and strength, particularly as people begin to age and their bones gradually weaken. So, eat your dates and give a boost to your bones!
Intestinal Disorders:
The nicotine content in dates is thought to be beneficial for curing many kinds of intestinal disorders. Continuous intake of dates helps to inhibit growth of the pathological organisms and thus, they help stimulate the growth of friendly bacteria in the intestines. In terms of digestive issues, dates contain those insoluble and soluble fibers, as well as many beneficial amino acids which can stimulate the digestion of food and make it more efficient, meaning that more nutrients will be absorbed by the digestive tract and enter your body for proper usage.
Anemia:
Dates have a high mineral content, which is beneficial for many different health conditions, but their impressive levels of iron make them a perfect dietary supplement for people suffering from anemia. The high level of iron balances out the inherent lack of iron in anemic patients, increasing energy and strength, while decreasing feelings of fatigue and sluggishness.
Allergies:
One of the most interesting facets of dates is the presence of organic sulfur in them. This is not a very common element to find in foods, but it does have a worthwhile amount of health benefits, including the reduction of allergic reactions and seasonal allergies. According to a study done in 2002, organic sulfur compounds can have a positive impact on the amount of suffering people experience from SAR (Seasonal Allergic Rhinitis), which affects approximately 23 million people in the United States alone. Dates are a great way to somewhat stem the effects of those seasonal allergies through its contributions of sulfur to the diet.
Weight Gain:
Dates should be included as a part of a healthy diet. They consist of sugar, proteins and many essential vitamins. If dates are consumed with cucumber paste, you can also keep your weight at a normal, balanced level, rather than over-slimming. One kilogram of dates contains almost 3,000 calories, and the calories in dates are sufficient to meet the daily requirements for a human body. Of course, you should not eat just dates throughout the day. If you are thin and slim and want to increase your weight, or if you are trying to build your muscles, or you have become weak due to a serious medical problem – you need to eat dates!
Energy Booster:
Dates are high in natural sugars like glucose, fructose, and sucrose. Therefore, they are the perfect snack for an immediate burst of energy. Many people around the world use dates for a quick afternoon snack when they are feeling lethargic or sluggish.
Nervous System Health:
The vitamins present in dates make it an ideal boost to nervous system health and functionality. Potassium is one of the prime ingredients in promoting a healthy and responsive nervous system, and it also improves the speed and alertness of brain activity. Therefore, dates are a wonderful food source for people as they begin to age and their nervous system becomes sluggish or unsupported, as well as for people who want to keep their mind sharp.
Healthy Heart:
Dates are quite helpful in keeping your heart healthy. When they are soaked for the night, crushed in the morning and then consumed, they have been shown to have a positive effect on weak hearts. Dates are also a rich source of potassium, which studies have shown to reduce the risk of stroke and other heart related diseases. Furthermore, they are suggested as a healthy and delicious way to reduce the levels of LDL cholesterol in the body, which is a major contributing factor heart attacks, heart disease, and stroke. Therefore, when taken twice a week, dates can seriously improve the overall health of the heart.
Night Blindness:
The benefits of dates are extensive, and are commonly employed to fight off various conditions affecting the ear, nose, and throat. When the leaves of the date palm are ground into a paste and rubbed on and around the eyes, or when dates are ingested orally, it has been shown to reduce the frequency of night blindness, and this solution is commonly used in rural areas where dates grow as an alternative medicine.
Intoxication:
Dates are commonly used as a remedy for alcoholic intoxication. Dates provide quick relief and have a sobering effect in case you feel as though have consumed an uncomfortable amount of alcohol. They can also be used the following morning to prevent severe hangovers. Again, they should be rubbed and soaked overnight for the best results.
Diarrhea:
Ripe dates contain potassium, which is known as an effective way of controlling diarrhea. They are also easy to digest, which further helps alleviate the unpredictable nature of chronic diarrhea. The soluble fiber in dates can also help relieve diarrhea, by providing bulk to the bowel movements and promoting normal, healthy functioning of the excretory system.
Abdominal Cancer:
Research has pointed towards dates being a legitimate way to reduce the risk and impact of abdominal cancer. They work as a useful tonic for all age groups, and in some cases, they work better than traditional medicines, and are natural, so they don't have any negative side effects on the human body. They can be quickly and easily digested for a quick boost of energy.
Although dates carry tremendous nutritional values, great care should be taken in their selection because their surface is very sticky, which often attracts various impurities. Therefore, you should only consume dates that are processed and packaged properly. Also, make sure to wash them thoroughly before you eat them, as this will help remove the impurities present on the surface.
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Tuesday, November 24, 2015
Fwd: यूं करें दांतों की देखभाल , स्वास्थ्य लाभों से भरपूर है एवोकैडो का बीज
Subject: यूं करें दांतों की देखभाल , स्वास्थ्य लाभों से भरपूर है एवोकैडो का बीज
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Monday, November 23, 2015
Fwd:
🐃🐃 हल्दी वाला दूध पीने के 7 लाभ 🐃🐃
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बहुत फायदेमंद है हल्दी वाला दूध। दूध जहां कैल्शियम से भरपूर होता है वहीं दूसरी तरफ हल्दी में एंटीबायोटिक होता है। दोनों ही आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी होते हैं और अगर दोनों को एक साथ मिला लिया जाये तो इनके लाभ दोगुना हो जायेगें। आइए हल्दी वाले दूध के ऐसे फायदों को जान कर आप इसे पीने से खुद को रोक नहीं पायेगें ।
1. सांस संबंधी समस्याओं में लाभकारी
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हल्दी में एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं | इस लिए इसे गर्म दूध के साथ लेने से दमा, ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों में कफ और साइनस जैसी समस्याओं में आराम होता है। यह मसाला आपके शरीर में गरमाहट लाता है और फेफड़े तथा साइनस में जकड़न से तुरन्त राहत मिलती है। साथ ही यह बैक्टीरियल और वायरल संक्रमणों से लड़ने में मदद करता है |
2. मोटापा कम करे
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हल्दी वाले दूध को पीने से शरीर में जमी अतिरिक्त चर्बी घटती है। इसमें मौजूद कैल्शियम और मिनिरल और अन्य पोषक तत्व वजन घटाने में मदगार होते हैं |
3. हडि्डयों को मजबूत बनाये
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दूध में कैल्शियम और हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट की मौजूदगी के कारण हल्दी वाला दूध पीने से हडि्डयां मजबूत होती है और साथ ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। हल्दी वाले दूध को पीने से हड्डियों में होने वाले नुकसान और ऑस्टियोपोरेसिस की समस्या में कमी आती है ।
4. खून साफ करे
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आयुर्वेदिक परम्परा में हल्दी वाले दूध को एक बेहतरीन रक्त शुद्ध करने वाला माना जाता है। यह रक्त को पतला कर रक्त वाहिकाओं की गन्दगी को साफ करता है। और शरीर में रक्त परिसंचरण को मजबूत बनाता है।
5. पाचन संबंधी समस्याओं में लाभकारी
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हल्दी वाला दूध एक शक्तिशाली एंटी-सेप्टिक होता है। यह आंतों को स्वस्थ बनाने के साथ पेअ के अल्सर और कोलाइटिस के उपचार में भी मदद करता है। इसके सेवन से पाचन बेहतर होता है और अल्सर, डायरिया और अपच की समस्या नहीं होती है।
6. दर्द कम करे
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हल्दी वाले दूध के सेवन से गठिया का निदान होता हैं। साथ ही इसका रियूमेटॉइड गठिया के कारण होने वाली सूजन के उपचार के लिये प्रयोग किया जाता है। यह जोड़ो और मांसपेशियों को लचीला बनाता है जिससे दर्द कम हो जाता है |
7. गहरी नींद में सहायक
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हल्दी शरीर में ट्रीप्टोफन नामक अमीनो अम्ल को बनाता है, जो शान्तिपूर्वक और गहरी नींद में सहायक होता है। इस लिए अगर आप रात में ठीक से सो नहीं पा रहे हैं या आपको बैचेनी हो रही है तो सोने से आधा घंटा पहले हल्दी वाला दूध पीएं। इससे आपको गहरी नींद आएगी और नींद ना आने की समस्या दूर हो जाएगी।
🙏 त्रिभुवन गुप्ता, पटियाला 🙏
Sunday, November 22, 2015
prarthna
परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
Fwd:
From: Madan Gopal Garga <mggarga2013@gmail.com>
Date: 2015-11-20 10:33 GMT+05:30
Subject:
To: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>
अनुभव : – मैं किडनी ट्रांसप्लांट से कैसे बचा।How I Avoid Kidney Transplant.जिन लोगो को डॉकटरो ने किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी हो, या डायलसिस चल रहा हो तो उन्हे किडनी ट्रांसप्लांट करवाने के पहले इस दवा का प्रयोग जरूर करके देखना चाहिए हो सकता है कि ट्रांसप्लांट की नौबत ना आए। बता रहे हैं श्री ओम प्रकाश जी जिनको यही समस्या 2009 मेंआई थी, और डॉक्टर ने उनको किडनी ट्रांसप्लांट करने के लिए बोल दिया था। तो उन्होंने ना ही सिर्फ अपनी किडनी को स्वस्थ किया बल्कि ऐसे अनेक लोगो को भी इसका दम्भ झेलने से बचाया।आइये जानते हैं श्री ओम प्रकाश सिंह जी से….किडनी ट्रांसप्लांट करवाना बहुत महंगा हैं, और कुछ लोग तो ये अफोर्ड नहीं कर सकते, और जो करभी सकते हैं तो किडनी ट्रांसप्लांट के बाद पहले जैसा जीवन नहीं बन पाता। मैं 17 अक्टोबर 2009 से किडनी की समस्या से झूझ रहा था अप्रैल 2012 मे मुंम्बई के नानावाती हॉस्पिटल के डॉक्टर शरद शेठ से ट्रांसप्लांट की बात भी तय हो चुकी थी लेकिन इसी दरमियान अखिल भारतीय शिक्षकेतर कर्मचारी संघ के महासचिव डॉक्टर आर बी सिंह से मुलाकात हो गई और उन्होने कहा की यह काढ़ा 15 दिन पीने के बाद अपना फैसला लेना है के आपको क्या करना है, मैने उनकी बात मानकर काढ़े का उपयोग किया और एक हफ्ते के बाद चलने फिरने मे सक्षम हो गया तब से में अभी तक पूरी तरह से स्वस्थ महसूस कर रहा हूँ कोई दवा भी नही लेता हूँ और ना ही कोई खाने पीने का परहेज ही करता हूँ, और ना ही किसी प्रकार की कमजोरी महसूस करता हु।तो कौन सा हैं वो काढ़ा आइये जानते हैं।काढ़ा बनाने की विधि:पाव (250 ग्राम) गोखरू कांटा (ये आपको पंसारी से मिल जायेगा) लेकर 4 लीटर पानी मे उबालिए जब पानी एक लीटर रह जाए तो पानी छानकर एक बोतल मे रख लीजिए और कांटा फेंक दीजिए। इस काढे को सुबह शाम खाली पेट हल्का सा गुनगुना करके 100 ग्राम के करीब पीजिए। शाम को खालीपेट का मतलब है दोपहर के भोजन के 5, 6 घंटे के बाद। काढ़ा पीने के एक घंटे के बाद ही कुछ खाइए और अपनी पहले की दवाई ख़ान पान का रोटिन पूर्ववत ही रखिए।15 दिन के अंदर यदि आपके अंदर अभूतपूर्व परिवर्तन हो जाए तो डॉक्टर की सलाह लेकर दवा बंदकर दीजिए।जैसे जैसे आपके अंदर सुधार होगा काढे की मात्रा कम कर सकते है या दो बार की बजाए एक बार भी कर सकते है। मुझे उम्मीद है की ट्रांसप्लांट का विचार त्याग देंगे जैसा मैने कियाहै।मेरा ये अनुभव नवभारत टाइम्स में भी छाप चूका हैं। जिसके बाद मुझे बहुत फोन आये और 3-400 लोगो को मैंने ये बताया भी। जिसमे से 90 % से ऊपर लोगो को आराम मिला।और अगर आप भी ये प्रयोग करना चाहे तो निश्चिन्त हो कर करिये और अगर ऊपर लिखा हुआ समझ में नाआये या किसी प्रकार की शंका हो तो मुझसे मेरे फोन नंबर 8097236254 पर भी सहायता मांग सकता है।आपको आराम मिले तो आप दूसरे भाइयो को भी इसी प्रकार बताइये। और अपनी यथा शक्ति धन की सेवा किसी नज़दीकी गौशाला में कीजिये। गाय से बड़ा कोई पुण्य नहीं हैं। नेक कर्म ही साथ जाएंगे।जय श्री राम।
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Fwd:
From: Madan Gopal Garga <mggarga2013@gmail.com>
Date: Fri, Nov 20, 2015 at 10:37 AM
Subject:
To: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>
Health Benefits of Foot Massage and Reflexology
Massage is the best technique for relaxation and also has positive effects on overall health. One of the best things you can do for yourself is self-massage.
Foot massage is actually healing. A very large number of nerve endings are concentrated on the soles, and opposite ends of those same nerves are spread in all other parts of the body. Accordingly, feet represent a map of the whole body. When you massage them, you actually stimulate them as well as other parts of the body.
This is why it is said that feet play an important role in our nervous system. In fact, the massage is very specific pressing your thumbs on the precise points. Firmly press for a few seconds, and then move on to the next point.
Here are the top 10 health benefits of foot massage and reflexology.
1. Promotes Better Sleep
Foot massage just before going to bed can help you sleep better. A soothing and relaxing foot massage will help the body unwind, improve blood circulation and relax the nerves. These in turn will encourage restful sleep.
There are certain acupuncture points on your feet that need to be massaged to promote sleep.
Sit upright with your foot in your lap.
Using your thumb, press in and around the large plantar pad of your big toe.
Do this for at least 1 minute on each of the big toes.
Next, massage the bottom of your feet for 10 minutes with warm coconut oil, olive oil or mustard oil.
2. Improves Blood Circulation
Due to sedentary lifestyles, most of us do not use the muscles of our feet properly. Also, improper footwear like tight shoes hamper normal circulation in the feet.
You can improve your blood circulation with 10 minutes of daily foot massage. This in turn will help transport oxygen to the body's cells, which is essential for overall health. Needless to say, you also need to opt for proper and comfortable footwear.
Foot massage will also stimulate the lymphatic system and help prevent varicose veins.
Put any massage oil in your palm and rub it firmly on your foot for several minutes.
Then, stroke the foot gently but firmly from toes to ankle with your fingers.
Finally, give a gentle massage to your lower leg also.
Repeat the same with the other foot.
3. Helps You Relax
After a long tiring day, the best way to relax is a soothing and relaxing foot massage, particularly after a long day of standing and walking around, when our feet tend to swell up.
Also, foot massage gives you energy by releasing any blockages that hold back energy and relieving symptoms of stress and fatigue.
Regular foot massage of 5 to 10 minutes before going to bed can improve feelings of general well-being. Always use warm oil for foot massage so that it easily penetrates deep in the skin. Also, use gentle yet firm strokes.
4. Fights Depression
Foot massage and reflexology can even help fight depression. According to a 2010 study published in the Journal of Clinical Nursing, receiving soothing hand or foot massages after the death of a loved one can help a lot to deal with the stressful grieving period. Foot massage provides consolation, helping people to balance the need to grieve and adapt to changes in life.
Certain points on the feet are helpful in alleviating depression symptoms. For instance, the spot in the center of the big toe, the spot at the center of the ball of your foot or the ball of the foot located under the big toe are associated with emotional stability and mental health.
Massaging these points or applying pressure to them for a few minutes 2 or 3 times a day can help relieve symptoms of depression.
5. Relieves Aches and Pains
Reflexology can help treat different types of pains and aches, such as headaches, migraines, neck pain, lower and upper backaches.
If you have neck pain, massage the toes as well as the joints that join the toes to the foot for 5 minutes firmly and soon the pain will vanish. You can do massage of the whole ankle to reduce pain and swelling in the ankle and get relief from headaches and migraines.
To relieve thigh pain or lower back pain, apply pressure with your thumb between the outer ankle bone and the Achilles tendon for a few minutes.
For upper backaches, massage the arch of the foot. Use your thumbs to apply pressure along the edge of the foot, using small circular motions. Also, massage the soles and tops of your feet.
6. Makes Feet Healthier
One easy way to keep your feet healthy and free from all kinds of foot problems is a regular foot massage. It helps stimulate the muscles around your feet, lessens stiffness and even reduces pain in the ankles or the heels.
Plus, a short 5-minute foot massage daily will make your ankles strong and flexible, thus preventing unpleasant ankle and foot injuries.
It has been found that massaging your feet with warm olive oil or coconut oil can give much relief from the pain and inflammation caused by foot tendonitis. Also, it is considered an excellent treatment for heel spurs.
It can even be beneficial to relieve the discomfort associated with burning feet sensation. Apart from oil, you can also use a foot roller for foot massage. Roll the foot roller back and forth on the soles as well as over the top of your feet for a quick massage.
7. Alleviates Edema
Regular foot massage during pregnancy can help reduce the effects of edema, which is swelling in the feet and ankles due to fluid retention. This is very common during pregnancy, especially in the last trimester.
During pregnancy, do not do your own foot massage. It is recommended to get it done by a friend, partner or professional. In fact, it best to get it done by a qualified reflexologist.
A retrograde massage with some warm massage oil is considered highly beneficial. It is done by rubbing from the toes proximally, or toward the knee. This encourage the fluid accumulated in the feet to return toward the kidneys, where it can be flushed out of the body.
Along with daily foot massage, try to keep your feet elevated whenever possible, take plenty of rest, wear comfortable shoes, drink plenty of water and eat well.
8. Eases PMS and Menopause Symptoms
Many women suffer from symptoms like feelings of sadness, irritability, insomnia, bloating, fatigue, headaches and mood swings during premenstrual syndrome (PMS).
These can be treated with daily foot massage. Even symptoms of menopause like hot flashes and depression can be effectively handled with regular foot massages.
To treat PMS and menopause symptoms, massage the Grandfather Grandson point. It is located on the inner foot, where the big toe meets the foot. Massage this acupressure point with any warm massage oil and apply steady, firm pressure. Do it for a couple of minutes and then massage the entire feet as well as the legs.
Regular foot massage will surely show a decrease in hot flashes and improvement in sleep disturbances and mood changes.
9. Restless Leg Syndrome
Foot massage is also helpful in treating restless leg syndrome, a kind of neurological disorder. Restless leg syndrome can cause difficulty sleeping due to the unpleasant sensations like throbbing, pulling and the urge to move your legs.
Massage your feet with warm coconut oil to improve blood circulation, relax the nerves and help you sleep at night.
Rub warm coconut oil on the soles of your feet and all over your legs.
Massage your legs in circular motions with gentle yet firm strokes, moving upward from the ankles.
Do this daily for 10 minutes before going to bed.
10. Lowers Blood Pressure
High blood pressure, also called HBP or hypertension, can be controlled with regular foot massage. Studies have also found that foot refloxology may help reduce systolic blood pressure and triglyceride. To treat HBP, it is important to massage the solar plexus reflex. This reflex point can be easily located by squeezing each side of your foot. The hollow that forms is where the solar plexus point is.
Press this reflex point for a few seconds with your thumb and take a deep breath.
Release the thumb and breathe out.
Press for 30 seconds to 1 minute, rotate your thumb clockwise and breathe deeply.
Breathe out when releasing.
Repeat on the other foot.
Do it twice a week for several weeks.
Also, massage your entire foot for 10 minutes 2 or 3 times a week to notice improved mood, less anxiety and lower blood pressure.
Warning:
Most people can benefit from regular foot massage. However, avoid foot massage if there are burns, open or healing wounds on your feet, fractures and severe osteoporosis.
Fwd:
From: Madan Gopal Garga <mggarga2013@gmail.com>
Date: 2015-11-18 21:06 GMT+05:30
Subject:
To: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>
⚡'प्लेटलेट्स म्हणजे काय?'⚡
हा प्रश्न अनेकांना पडला असेल.
त्या प्रश्नाचं उत्तर या लेखात मिळेल.
हिमोग्लोबिन,
प्लाझ्माप्रमाणे
प्लेटलेट्स हादेखील रक्तातील एक महत्त्वाचा घटक आहे.
रक्त पातळ होऊ न देण्याचं तसंच
रक्तवाहिन्यांना इजा झाल्यास रक्तस्त्राव अधिक प्रमाणात होऊ न देण्याचं काम या 'प्लेटलेट्स' करतात.
या प्लेटलेट्स मुळातच
एखाद्या प्लेटप्रमाणे दिसतात.
त्यामुळे त्यांना 'प्लेटलेट्स' हे नाव शास्त्रज्ञांनी दिलं आहे.
या पेशींसाठी वैद्यकीय भाषेत 'थ्रोम्बोसाइट्स'
ही संज्ञा वापरली आहे.
रक्तामध्ये प्रामुख्याने तीन पेशी असतात.
लालपेशी (आरबीसी),
पांढऱ्या पेशी (डब्लूबीसी)
आणि
प्लेटलेट्स (तंतुकणिका).
त्यापैकी रक्तामध्ये 'प्लेटलेट्स'ची संख्या सर्वाधिक असते.
प्लेटलेट्स या मोठया हाडांतील
रक्तमज्जेत (रेड बोनमॅरो) असणाऱ्या
मेगा कॅरोसाइट्स या पेशींपासून तयार होतात.
त्यांचं रक्तातील आयुष्य सर्वसाधारणपणे 5-9 दिवसांचं असतं.
जुन्या झालेल्या प्लेटलेट्स प्लीहा (स्टीन) आणि यकृत (लिव्हर) या मध्ये नाश पावतात.
⚡प्लेटलेट्सचं कार्य⚡
रक्तवाहिन्यांतून वाहणारं रक्त हे प्रवाही राहणं महत्त्वाचं असतं.
ऑक्सिजन वहनाचं प्रमुख कार्य रक्तातून होतं.
तसंच रक्त शरीरातील विभिन्न अवयवांचे पेशीस्तरांवर पोषण करते.
एखादी जखम झाल्यास रक्तवाहिन्यांमधून रक्त अधिक प्रमाणात वाहून गेल्यास जीवितहानीदेखील होऊ शकते.
अशा वेळेस जखम झालेल्या ठिकाणी प्लेटलेट्स आणि फायबर एकत्र येऊन रक्तप्रवाह खंडित करण्याचं काम करतात.
त्यामुळेच प्लेटलेट्सना
'मानवी शरीराची कवचकुंडलं' म्हटलं जातं.
⚡प्लेटलेट्सची संख्या ⚡
सर्वसाधारणपणे मानवी शरीरातील प्लेटलेट्सची संख्या दीड ते साडेचार लाख इतकी असते.
संख्या प्रमाणापेक्षा अधिक झाल्यास रक्ताची गुठळी होऊन,
रक्तवाहिन्यांतील रक्तप्रवाहाला अडथळा निर्माण होऊ शकतो.
त्यामुळे हृदयरोग, स्ट्रोक यांसारखे आजार होतात.
हातापायाच्या रक्तवाहिन्यांमध्ये अडथळा निर्माण झाल्यास,
शरीराचा तो भाग बधीर होऊन निकामी होऊ शकतो.
संख्या प्रमाणापेक्षा कमी झाल्यास रक्तस्त्राव अधिक होतो.
म्हणजे नाकातून, हिरडयांमधून, थुंकीतून रक्त पडतं.
त्वचेवर लालसर ठिपके येतात. मासिक रज:स्रव अधिक प्रमाणात होतो.
जखम झाल्यास रक्तस्रव आटोक्यात येत नाही.
जास्त रक्त गेल्याने थकवा येतो.
⚡प्लेटलेट्स कमी होण्याची कारणं
• डेंग्यू, मलेरियाचा ताप
• अनुवंशिक आजार
• केमोथेरपी
⚡संख्या कमी झाल्यास...
डेंग्यू, मलेरिया या साथीच्या तापात प्लेटलेट्सची संख्या अचानक कमी होऊ शकते.
त्यामुळे 2-3 दिवसांचा ताप आल्यास,
त्या त्या रोगांची लक्षणे दिसल्यास वैद्यकीय सल्ल्याने त्वरित रक्ततपासणी (सीबीसी टेस्ट) करून घ्यावी. त्यानुसारच उपाययोजना करावी.
⚡प्लेटलेट्सची संख्या कमी झाल्यास लक्षात ठेवायच्या गोष्टी :
• लसूण खाऊ नये.
• अधिक श्रमाचे व्यायाम तसंच दगदग करु नये.
• अॅस्प्रिन, कोल्डडॅगसारखी औषधे घेऊ नयेत.
• दात घासताना ब्रश लागणार नाही, याची दक्षता घ्यावी.
• सु-या, कातरी वापरताना काळजीने वापरावे.
• बद्धकोष्ठता होणार नाही, याची काळजी घ्यावी.
• त्वरित डॉक्टरांचा सल्ला घ्यावा.
प्लेटलेट्स कमी झाल्यास,
त्या बाहेरून घ्याव्या लागतात. इतर कुठलेही उपाय अजून खात्रीशीररीत्या सिद्ध झालेले नाहीत.
प्लेटलेट्ससाठी गोळया किंवा औषधंही नाहीत.
पौष्टिक आहारातूनच प्लेटलेट्सचं प्रमाण नियंत्रणात ठेवता येतं.
⚡नैसर्गिकरीत्या ब्लड प्लेटलेट्स वाढवण्यात मदत करतील हे 7 पदार्थ .
जर तुम्ही शरीरात कमी होत चाललेल्या प्लेटलेट्समुळे चिंताग्रस्त असाल तर घाबरू नका कारण तुम्ही तुमचा आहारात काही पदार्थांचा समावेश करून ब्लड प्लेटलेट्स नैसर्गिक पद्धतीने वाढवू शकता.
शरीरात प्लेटलेट्सची संख्या कमी होण्याच्या स्थितीला थ्रोम्बोसायटोपेनिया नावाने ओळखले जाते. या निरोगी व्यक्तीच्या शरीरात सामान्य प्लेटलेट काउंट 150 हजार ते 450 हजार प्रती मायक्रोलीटर असतो. परंतु जेव्हा हा काउंट 150 हजार प्रती मायक्रोलीटरपेक्षा खाली येतो तेव्हा याला लो प्लेटलेट मानले जाते. काही विशिष्ठ प्रकरच्या औषधी, अनुवांशिक रोग, कँसर, केमोथेरपी ट्रीटमेंट, अल्कोहलचे जास्त सेवन आणि काही विशिष्ठ प्रकारचे आजार उदा. डेंग्यू, मलेरिया, चिकनगुण्या झाल्यानंतर ब्लड प्लेटलेट्सची संख्या कमी होते.
पुढे जाणून घ्या, नैसर्गिक पद्धतीने प्लेटलेट्स वाढण्व्यासाठी आहारात कोणत्या पदार्थांचा समावेश करावा....
⚡१.पपई -⚡
पपईचे फळ आणि झाडाची पानं दोन्हींचा उपयोग कमी असलेल्या प्लेटलेट्स थोड्याच दिवसात वाढवण्यास मदत करते. 2009 मध्ये मलेशिया येथे वैज्ञानिकांनी केलेल्या एका सर्व्हेमध्ये आढळून आले की, डेंग्यू आजारात रक्तातील कमी होणाऱ्या प्लेटलेटची संख्या पपई पानांच्या रसाचे सेवन केल्याने वाढू शकते. पपईचे पानं तुम्ही चहाप्रमाणे पाण्यात उकळून घेऊ शकता. याची चव ग्रीन टी प्रमाणे असते.
⚡२.गुळवेल⚡
गुळवेलचे ज्यूस ब्लड प्लेटलेट वाढवण्यामध्ये महत्त्वाची भूमिका पार पडते. डेंग्यू झालेल्या रुग्णाने याचे सेवन प्लेटलेट्स वाढवण्यासाठी कर्वे तसेच यामुळे रोगप्रतिकारकशक्ती वाढते. दोन चमचे गुळवेल सत्व एक चमचा मधासोबत दिवसातून दोन वेळेस घ्यावे किंवा गुळवेलची काडी रात्रभर पाण्यात भिजवून ठेवावी आणि सकाळी उठल्यानंतर हे पाणी गाळून प्यावे. या उपायाने ब्लड प्लेटलेट वाढण्यास मदत होईल. गुळवेल सत्व आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोअरवर सहजपणे उपलब्ध होते.
⚡३.आवळा⚡
प्लेटलेट्स वाढवण्यासाठी आवळा लोकप्रिय आयुर्वेदिक उपचार आहे. आवळ्यामध्ये भरपूर प्रमाणात उपलब्ध असलेले व्हिटॅमिन 'सी' प्लेटलेट्स वाढवण्याचे आणि तुम्ही प्रतिकारशक्ती मजबूत करण्यास मदत करते. दररोज सकाळी नियमितपणे रिकाम्या पोटी 3-4 आवळे खावेत. दोन चमचे आवळ्याच्या ज्यूसमध्ये मध टाकून तुम्ही हे मिश्रण घेऊ शकता.
⚡४.भोपळा⚡
भोपळा कमी प्लेटलेट कांउटमध्ये सुधार करणारा उपयुक्त आहार आ
हे. भोपळा व्हिटॅमिन 'ए' ने समृद्ध असल्यामुळे प्लेटलेटचा योग्य विकास होण्यास मदत करतो. हा कोशिकांमध्ये उत्पन्न होणाऱ्या प्रोटीनला नियंत्रित करतो. यामुळे प्लेटलेट्सचा स्तर वाढवण्यास मदत होते. भोपळ्याच्या अर्धा ग्लास ज्यूसमध्ये दोन चमचे मध टाकून दिवसातून दोन वेळेस घेतल्यास रक्तातील प्लेटलेट्सची संख्या वाढते.
⚡५.पालक⚡
पालक व्हिटॅमिन 'के'चा चांगला स्रोत असून अनेकवेळा कमी प्लेटलेट विकाराच्या उपचारामध्ये याचा उपयोग केला जातो. व्हिटॅमिन 'के' योग्य पद्धतीने होणाऱ्या ब्लड क्लॉटिंगसाठी आवश्यक आहे. अशाप्रकारे पालक जास्त प्रमाणात होणाऱ्या ब्लीडींगचा धोका कमी करण्यात सहाय्यक ठरतो. दोन कप पाण्यामध्ये 4 ते 5 पालकाची ताजी पानं थोडावेळ उकळून घ्या. त्यानंतर हे पाणी थंड झाल्यानंतर यामध्ये अर्धा ग्लास टोमॅटोचा रस मिसळा. हे मिश्रण दिवसातून दोन ते तीन वेळेस घ्या. या व्यतिरिक्त तुम्ही पालकाचे सेवन सलाड, सूप, भाजी स्वरुपात करू शकता.
⚡६.नारळ पाणी⚡
शरीरात ब्लड प्लेटलेट वाढवण्यात नारळ पाणी खूप सहाय्यक ठरते. नारळ पाण्यामध्ये इलेक्ट्रोलाइट्स भरपूर प्रमाणात असतात. या व्यतिरिक्त हे पाणी मिनरलचा उत्तम स्रोत आहे. हे शरीरातील ब्लड प्लेटलेट्सची कमतरता भरून काढण्यास उपयुक्त आहे.
⚡७.बीट ⚡
बीटचे सेवन प्लेटलेट वाढवणार सर्वात लोकप्रिय आहार आहे. नैसर्गिक अँटीऑक्सीडेंट आणि हेमोस्टॅटिक गुणांनी भरपूर असल्यामुळे, बीट प्लेटलेट काउंट थोड्याच दिवसात वाढवण्याचे काम करते. दोन ते तीन चमचे बीट रस एक ग्लास गाजराच्या रसामध्ये मिसळून घेतल्यास ब्लड प्लेटलेट्सची संख्या जलद गतीने वाढते. यामध्ये उपलब्ध असलेल्या अँटीऑक्सीडेंट गुणामुळे शरीरातील रोगप्रतिकारकशक्ती वाढते.
Saturday, November 21, 2015
हींग शक्तिशाली घरेलू औषधि
91 94164 45000: हींग शक्तिशाली घरेलू औषधि
* दांतों में कीड़ा लग जाने पर रात्रि को दांत में हींग दबाकर सोएं। कीड़े खुद-ब-खुद निकल जाएंगे।
* यदि शरीर के किसी हिस्से में कांटा चुभ गया हो तो उस स्थान पर हींग का घोल भर दें। कुछ समय में कांटा स्वतः निकल आएगा।
* हींग में रोग-प्रतिरोधक क्षमता होती है। दाद, खाज, खुजली व अन्य चर्म रोगों में इसको पानी में घिसकर उन स्थानों पर लगाने से लाभ होता है।
* हींग का लेप बवासीर, तिल्ली व उदरशोथ में लाभप्रद है।
* कब्जियत की शिकायत होने पर हींग के चूर्ण में थोड़ा सा मीठा सोड़ा मिलाकर रात्रि को फांक लें, सबेरे शौच साफ होगा।
* पेट के दर्द, अफारे, ऐंठन आदि में अजवाइन और नमक के साथ हींग का सेवन करें तो लाभ होगा।
* पेट में कीड़े हो जाने पर हींग को पानी में घोलकर एनिमा लेने से पेट के कीड़े शीघ्र निकल आते हैं।
* जख्म यदि कुछ समय तक खुला रहे तो उसमें छोटे-छोटे रोगाणु पनप जाते हैं। जख्म पर हींग का चूर्ण डालने से रोगाणु नष्ट हो जाते हैं।
* प्रतिदिन के भोजन में दाल, कढ़ी व कुछ सब्जियों में हींग का उपयोग करने से भोजन को पचाने में सहायक होती है।। जडेजा स्वदेशी
[17/11 9:19 pm] +91 94164 45000: समूह में उपस्थित सभी सदस्यों को मेरा प्रणाम
करप्या इस पोस्ट को ध्यान से पढे और अमल करेंगे तो आप भविष्य में होने वाली भयानक बीमारीयों जैसे हार्ट अटैक, उच्च रक्तचाप, निम्न रक्तचाप, कोलेस्टरॉल बढना,वात से संबंधित रोग,और पेरालाइसिस इत्यादि
एेसे कई सौ रोगों से दूर रह सकते हैं
1:-
सबसे पहले अपने घर का नमक बदले
आयोडीन नमक तुरंत प्रभाव से बंद करे
इसके स्थान पर सबसे अच्छा शैधा नमक इसके बाद काला नमक और इसके बाद िक्रसटल वाला नमक
प्रयोग करें
क्योंकि आयोडीन तो आपको दालों से हरे पत्तों की सब्जियों से मिल जाती है जितनी शरीर को आवश्यकता होती है
और यदि शरीर में आवश्यकता से ज्यादा आयोडीन चला गया तो आप नपुंसक हो जाते हैं
2:-
आप जो अपने घर में रिफाइंड तेल प्रयोग करते हैं तो इसे भी तुरंत प्रभाव से बंद कर दे
क्योंकि इसमें खाने के नाम पर कुछ भी नहीं होता है
जिसके कारण आज के परिवारो में हार्ट अटैक किडनी फेल होना
जैसी बीमारी आना पक्का है
और जो परिवार पिछले सालों से प्रयोग कर रहे हैं उनके घर में एक भी व्यक्ति स्वस्थ नहीं है
और ये सडंयन्त्र रचा जा रहा है यूरोप के देशों द्वारा भारत के युवाओं को अधिक से अंदर से खोखला हो जाता है बीमार हो जाता है
और इसमें एलोपेथी की दवाई भी यूरोप के देशों की कम्पनी की बिक रही है
अर्थात दोनों हाथों में लड्डू है इनके
इन तेलों के स्थान पर घाणी का निकला हुआ तेल
जैसे तिल का तेल ,सरसों का तेल, नारियल का तेल,मूंगफली का तेल प्रयोग करें तथा शुद्ध देशी गाय का घी प्रयोग करिये भविष्य में आपको ये बीमारी तो कभी नहीं आयेगी
केवल दो तेलों को छोड़कर कोई भी तेल प्रयोग करें
सोयाबीन और रिफाइंड, डबल रिफाइंड
चाहे वह किसी भी कंपनी का हो
और
3:- आप जब आटा पिसवाते है तो उसमें १ किलोग्राम जौ और 1 किलोग्राम काले चने
को मिलाकर पिसवाये
50 किलोग्राम गेहूं (कनक)
ये डाले
और बिना छलनी से छाने प्रयोग करें
इन नियमों को अपनायेंगे तो कइ सौ बीमारियों से बचे रहेगे
जय हिंद
जडेजा स्वदेशी
[17/11 9:20 pm] +91 94164 45000: कब्ज
आजकल लगभग 90 % लोगों को कब्ज की समस्या होती है
इन सभी लोगों का पेट पूर्ण रूप से साफ नहीं होता है
और लगभग 90% रोग पेट से शुरू होते हैं
इसके आप अपने घर में दवा बना सकते हैं और उसे लगातार 3महिने ले सकते हैं उसके बाद 15-20 दिन बंद करके दुबारा शुरू कर सकते हैं
और सबसे बड़ी बात कि
अपने खानपान सही रखें
जैसे राजीव भाई जी के नियमों का पालन करे
उपचार
1:2:3 के अनुपात में
हरडे, बहेडा और आँवला तीनो को सुखाकर
पिस ले
पत्थर पर पिसेगे तो उत्तम रहेगा नहीं तो मिक्सी में पीस लें
जैसे १०० ग्राम हरडे
200 ग्राम बहेडा
और
300 ग्राम आँवला
बाद में
१०० ग्राम काला नमक मिलाएँ
इसकी 5 ग्राम मात्रा रात में सोने से पहले गर्म पानी से
ये आपकी कब्ज समस्या दूर कर देगी
🙏🙏🙏🙏 जडेजा ...9416445000
[17/11 9:21 pm] +91 94164 45000: मोटापा, उच्च रक्तचाप निम्न रक्तचाप, कोलेस्ट्रोल बढना, डायबिटीज और तमाम वो बीमारीया जो आजकल हो रही है
तथा आप हमेशा स्वस्थ रहें
उसके लिए इन नियमों का पालन करे और अपने बच्चों को भी इस की आदत डालें
मित्रों यदि हम अपने जीवन में थोड़ा-सा परिवर्तन आर्युवेद के हिसाब से कर ले
तो हमारे जीवन में बीमारीया कभी नजदीक भी नहीं आयेगी
जो बीमार है वे भी ठीक हो जायेगें
और जो स्वास्थ है वे हमेशा स्वस्थ रहेगे
1:- सुबह उठते ही एक से सवा लिटर गुनगुना पानी पीये(यदि घडे का हो या ताबे के बर्तन का हो तो गर्म करने की आवश्यकता नहीं है)
इससेे आपका मोटापा कम होगा और आपका आसानी से पेट साफ हो जायेगा
1:- सुबह का नाश्ता हमेशा पेट भर कर करे (7:30 से 9:00 बजे का उपयुक्त समय)
नाश्ते के बाद किसी भी फल का जूस पीये या फल ही खा ले जिनके पास फल नहीं है वे पानी में गुड व नीबू मिलाकर पी ले और
सुबह नाश्ते के बाद तेज कदमों से न चले
2:- दोपहर का भोजन 12:00 से 1 बजे तक कर लें और भोजन सुबह के नाश्ते से कम करें और इसके बाद दही या छाछ पी ले
और ३० मिनट के लिए बाई करवट लेटकर शो जाये
इससे आपकी काम करन कीे क्षमता बढ़ जायेगी
3:- रात का खाना सूर्यास्त होने से एक घंटे पहले ही कर लेना चाहिए और रात्रि का भोजन सबसे कम करना चाहिए
और रात्रि में सोने से पहले एक गिलास गर्म दूध (देशी गाय का दूध इसमें एक चम्मच देशी गाय का घी)
मिलाकर पिएं
तीनों समय के भोजन से 45 मिनट पहले या 1.5 घंटे बाद ही पानी पिये
तथा रात्रि के भोजन के बाद कम से कम 1000 कदम तो अवश्य चले
ओर तीनो समय के भोजन के बाद १० मिनट वज्रासन जरूर करें
पानी को हमेशा बैठकर और धीरे-धीरे घूटं-घूटं करके पिये
और दूध हमेशा खडे होकर और बिना मूह में घुमाएं सीधे पियें
और पानी कभी भी फ्रिज का या बर्फ डाला नहीं पीना चाहिए
चीनी बिल्कुल बंद कर दें इसके स्थान पर गुड या मिश्री का खाये
और फ्रिज का सभी सामान तत्काल प्रभाव से बंद कर दें
ये चीनी छोडने के कारण ही आपका वजन 4-5 किलो कम हो जायेगा बाकी इन नियमों का पालन करने से होगा
मात्र तीन महीने सतत करने से
अमर बलिदानी श्री राजीव दीक्षित जी के व्याख्यानों से
जडेजा स्वदेशी रक्षक ...9416445000
5 दिन में घटाए 5 kg तक वजन.
recd frkm a friend
5 दिन में घटाए 5 kg तक वजन.....
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क्या आप भी अपना वजन कम करने के लिए अनेकों नाकाम हथकंडे अपना चुके हैं? कई डाइट चार्ट कुछ दिनों के लिए अपनाकर कामयाब न होता हुआ देख छोड़ चुके हैं? तो आप यह तरीका ट्राई कर सकते हैं। शरीर में जब फैट जमा होने लगता है तो वजन बढ़ जाता है। हालांकि वजन घटाने के लिए रोज एक्सर्साइज़ करना तो महत्वपूर्ण है ही पर आपका खान-पान भी आपके वजन के बढ़ने और घटने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। आप 5 मिनट में तैयार इस सिंपल हेल्दी जूस को ट्राई कर सकते हैं, यह आपके शरीर से अतिरिक्त कैलरी बर्न करेगा और आप निश्चित तौर पर अपना वजन कम कर पाएंगे।
सामग्री:
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60 ग्राम हरा धनिया (मसला हुआ), 1 नींबू, 4 गिलास पानी
बनाने की विधि:
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एक बर्तन में नींबू को दो हिस्सों में काटकर निचोड़ें। उसमें मसला हुआ धनिया और पानी मिला लें। अच्छी तरह से मिक्स करें। आपका हेल्दी जूस तैयार है।
इस जूस को खाली पेट लगातार 5 दिन तक लें। हरा धनिया पाचन शक्ति तो बढ़ाता ही है साथ ही शरीर में प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ातhा है। यह खून की अशुद्धियों को दूर करता है। नींबू उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करता है। इस जूस को 5 दिन तक लगातार खाली पेट लेने से आप 5 किलो के करीब वजन कम कर सकते हैं।
जी पांच दिन का प्रयोग है |चार गिलास न पियें जाएँ तो अपने शरीर क्र अनुरूप एक या दो गिलास पियें .. यथाशक्ति पियें
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मैं किडनी ट्रांसप्लांट से कैसे बचा
Health Benefits of Foot Massage and Reflexology
Health Benefits of Foot Massage and Reflexology
Massage is the best technique for relaxation and also has positive effects on overall health. One of the best things you can do for yourself is self-massage.
Foot massage is actually healing. A very large number of nerve endings are concentrated on the soles, and opposite ends of those same nerves are spread in all other parts of the body. Accordingly, feet represent a map of the whole body. When you massage them, you actually stimulate them as well as other parts of the body.
This is why it is said that feet play an important role in our nervous system. In fact, the massage is very specific pressing your thumbs on the precise points. Firmly press for a few seconds, and then move on to the next point.
Here are the top 10 health benefits of foot massage and reflexology.
1. Promotes Better Sleep
Foot massage just before going to bed can help you sleep better. A soothing and relaxing foot massage will help the body unwind, improve blood circulation and relax the nerves. These in turn will encourage restful sleep.
There are certain acupuncture points on your feet that need to be massaged to promote sleep.
Sit upright with your foot in your lap.
Using your thumb, press in and around the large plantar pad of your big toe.
Do this for at least 1 minute on each of the big toes.
Next, massage the bottom of your feet for 10 minutes with warm coconut oil, olive oil or mustard oil.
2. Improves Blood Circulation
Due to sedentary lifestyles, most of us do not use the muscles of our feet properly. Also, improper footwear like tight shoes hamper normal circulation in the feet.
You can improve your blood circulation with 10 minutes of daily foot massage. This in turn will help transport oxygen to the body's cells, which is essential for overall health. Needless to say, you also need to opt for proper and comfortable footwear.
Foot massage will also stimulate the lymphatic system and help prevent varicose veins.
Put any massage oil in your palm and rub it firmly on your foot for several minutes.
Then, stroke the foot gently but firmly from toes to ankle with your fingers.
Finally, give a gentle massage to your lower leg also.
Repeat the same with the other foot.
3. Helps You Relax
After a long tiring day, the best way to relax is a soothing and relaxing foot massage, particularly after a long day of standing and walking around, when our feet tend to swell up.
Also, foot massage gives you energy by releasing any blockages that hold back energy and relieving symptoms of stress and fatigue.
Regular foot massage of 5 to 10 minutes before going to bed can improve feelings of general well-being. Always use warm oil for foot massage so that it easily penetrates deep in the skin. Also, use gentle yet firm strokes.
4. Fights Depression
Foot massage and reflexology can even help fight depression. According to a 2010 study published in the Journal of Clinical Nursing, receiving soothing hand or foot massages after the death of a loved one can help a lot to deal with the stressful grieving period. Foot massage provides consolation, helping people to balance the need to grieve and adapt to changes in life.
Certain points on the feet are helpful in alleviating depression symptoms. For instance, the spot in the center of the big toe, the spot at the center of the ball of your foot or the ball of the foot located under the big toe are associated with emotional stability and mental health.
Massaging these points or applying pressure to them for a few minutes 2 or 3 times a day can help relieve symptoms of depression.
5. Relieves Aches and Pains
Reflexology can help treat different types of pains and aches, such as headaches, migraines, neck pain, lower and upper backaches.
If you have neck pain, massage the toes as well as the joints that join the toes to the foot for 5 minutes firmly and soon the pain will vanish. You can do massage of the whole ankle to reduce pain and swelling in the ankle and get relief from headaches and migraines.
To relieve thigh pain or lower back pain, apply pressure with your thumb between the outer ankle bone and the Achilles tendon for a few minutes.
For upper backaches, massage the arch of the foot. Use your thumbs to apply pressure along the edge of the foot, using small circular motions. Also, massage the soles and tops of your feet.
6. Makes Feet Healthier
One easy way to keep your feet healthy and free from all kinds of foot problems is a regular foot massage. It helps stimulate the muscles around your feet, lessens stiffness and even reduces pain in the ankles or the heels.
Plus, a short 5-minute foot massage daily will make your ankles strong and flexible, thus preventing unpleasant ankle and foot injuries.
It has been found that massaging your feet with warm olive oil or coconut oil can give much relief from the pain and inflammation caused by foot tendonitis. Also, it is considered an excellent treatment for heel spurs.
It can even be beneficial to relieve the discomfort associated with burning feet sensation. Apart from oil, you can also use a foot roller for foot massage. Roll the foot roller back and forth on the soles as well as over the top of your feet for a quick massage.
7. Alleviates Edema
Regular foot massage during pregnancy can help reduce the effects of edema, which is swelling in the feet and ankles due to fluid retention. This is very common during pregnancy, especially in the last trimester.
During pregnancy, do not do your own foot massage. It is recommended to get it done by a friend, partner or professional. In fact, it best to get it done by a qualified reflexologist.
A retrograde massage with some warm massage oil is considered highly beneficial. It is done by rubbing from the toes proximally, or toward the knee. This encourage the fluid accumulated in the feet to return toward the kidneys, where it can be flushed out of the body.
Along with daily foot massage, try to keep your feet elevated whenever possible, take plenty of rest, wear comfortable shoes, drink plenty of water and eat well.
8. Eases PMS and Menopause Symptoms
Many women suffer from symptoms like feelings of sadness, irritability, insomnia, bloating, fatigue, headaches and mood swings during premenstrual syndrome (PMS).
These can be treated with daily foot massage. Even symptoms of menopause like hot flashes and depression can be effectively handled with regular foot massages.
To treat PMS and menopause symptoms, massage the Grandfather Grandson point. It is located on the inner foot, where the big toe meets the foot. Massage this acupressure point with any warm massage oil and apply steady, firm pressure. Do it for a couple of minutes and then massage the entire feet as well as the legs.
Regular foot massage will surely show a decrease in hot flashes and improvement in sleep disturbances and mood changes.
9. Restless Leg Syndrome
Foot massage is also helpful in treating restless leg syndrome, a kind of neurological disorder. Restless leg syndrome can cause difficulty sleeping due to the unpleasant sensations like throbbing, pulling and the urge to move your legs.
Massage your feet with warm coconut oil to improve blood circulation, relax the nerves and help you sleep at night.
Rub warm coconut oil on the soles of your feet and all over your legs.
Massage your legs in circular motions with gentle yet firm strokes, moving upward from the ankles.
Do this daily for 10 minutes before going to bed.
10. Lowers Blood Pressure
High blood pressure, also called HBP or hypertension, can be controlled with regular foot massage. Studies have also found that foot refloxology may help reduce systolic blood pressure and triglyceride. To treat HBP, it is important to massage the solar plexus reflex. This reflex point can be easily located by squeezing each side of your foot. The hollow that forms is where the solar plexus point is.
Press this reflex point for a few seconds with your thumb and take a deep breath.
Release the thumb and breathe out.
Press for 30 seconds to 1 minute, rotate your thumb clockwise and breathe deeply.
Breathe out when releasing.
Repeat on the other foot.
Do it twice a week for several weeks.
Also, massage your entire foot for 10 minutes 2 or 3 times a week to notice improved mood, less anxiety and lower blood pressure.
Warning:
Most people can benefit from regular foot massage. However, avoid foot massage if there are burns, open or healing wounds on your feet, fractures and severe osteoporosis.