
परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
जिनका आज जनम दिन या विवहा की सालगिरह है
उनको और सब को आशीर्वाद देते हुए

परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
जिनका आज जनम दिन या विवहा की सालगिरह है
उनको और सब को आशीर्वाद देते हुए

परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
जिनका आज जनम दिन या विवहा की सालगिरह है
उनको और सब को आशीर्वाद देते हुए
Dear All. If you have relatives in Mumbai then
Pls share this information to all...
We r providing TIFFIN to the Patient's and Relatives without any charges...
Area - south mumbai
Hospital - 
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Kalpesh Lodha
  9967236006
Manoj patwari
  98206 45070
Amrat jain
  9029373751
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  Seva ka labh le 🙏
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  * Wheelchair
  * Suction Machine
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  * Walker
    Free of cost for use (with Refundable Deposit). 
  Contact person:-
  Sanjay Shah - 9322516628
  Chintan Pandya - 7666311942
  Add : 17-D , Nisarga apt. Near IDBI bank, Mahavir nagar, kandivali west Mumbai 67
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  Years are passing by and our kidneys are filtering
  the blood by removing salt and any unwanted
  bacteria entering our body.
  With time salt accumulates in our kidney and it
  needs to undergo cleaning treatment. How are we
  going to do this?
  Here is an easy, cheap and simple way to do it.
  Take a bunch of coriander (DHANIYA Leaves) and
  wash it clean. Cut it in small pieces and put it in a
  pot. Pour clean water and boil it for ten minutes
  and let it cool down. Next filter it and pour it in a
  clean bottle and keep it in refrigerator to cool.
  Drink one glass everyday and you will notice all
  salt and other accumulated impurities coming out
  of your kidney while urination. You will be able to
  notice the difference yourself!
  DHANIYA/CORIANDER is known as a best cleaning
  treatment for kidneys and the best part is it is
  natural!
  Please share this information with others and keep
  your kidneys clean:)
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MUSIC FOR HEALTH
  🎻🎵🎼🎺
संगीत द्वारा बहुतसी बीमारियों का उपचार सभंव, चिकित्सा विज्ञान मानता हैं कि प्रतिदिन २० मिनट अपनी पसंद का संगीत सुनने से बहुत रोगों से बचा जा सकता है। रोग का संबंध किसी ना किसी ग्रह विशेष से होता हैं,उसी प्रकार संगीत के सुरो व रागो का संबंध भी किसी ना किसी ग्रह से होता हैं। जातक को जिस ग्रह विशेष से संबन्धित रोग हो और उसे उस ग्रह से संबन्धित राग, सुर अथवा गीत सुनाये जायें तो जातक शीघ्र स्वस्थ होता हैं| जिन शास्त्रीय रागों का उल्लेख किया है उन रागों मे कोई भी गीत, भजन या वाद्य यंत्र बजाया या सुना जा सकता हैं। (सुर व राग से संबन्धित फिल्मी गीत उदाहरण के लिए)
  🎻🎼🎵🎹
  ध्रुव वैद्य 
1. हृदय रोग (cardiac care)
  राग दरबारी व राग सारंग से संबन्धित संगीत सुनना लाभदायक है। इनसे संबन्धित गीत हैं :-
  * तोरा मन दर्पण कहलाए (काजल), 
  * राधिके तूने बंसरी चुराई (बेटी बेटे ), 
  * झनक झनक तोरी बाजे पायलिया ( मेरे हुज़ूर ), 
  * बहुत प्यार करते हैं तुमको सनम (साजन), 
  * जादूगर सइयां छोड़ मोरी (फाल्गुन), 
  * ओ दुनिया के रखवाले (बैजू बावरा ), 
  * मोहब्बत की झूठी कहानी पे रोये (मुगले आजम )
  🎺🎼🎵🎻
2. अनिद्रा (insomania)
  राग भैरवी व राग सोहनी सुनना लाभकारी होता है, जिनके प्रमुख गीत हैं :-
  * रात भर उनकी याद आती रही (गमन), 
  * नाचे मन मोरा (कोहिनूर), 
  * मीठे बोल बोले बोले पायलिया (सितारा), 
  * तू गंगा की मौज मैं यमुना (बैजु बावरा), 
  * ऋतु बसंत आई पवन (झनक झनक पायल बाजे), 
  * सावरे सावरे (अनुराधा), 
  * चिंगारी कोई भड़के (अमर प्रेम), 
  * छम छम बजे रे पायलिया (घूँघट ), 
  * झूमती चली हवा (संगीत सम्राट तानसेन ), 
  * कुहू कुहू बोले कोयलिया (सुवर्ण सुंदरी )
  🎵🎼🎻🎺
3. एसिडिटी (acidity)
  होने पर राग खमाज सुनने से लाभ मिलता है | इस राग के प्रमुख गीत हैं :-
  * ओ रब्बा कोई तो बताए प्यार (संगीत), 
  * आयो कहाँ से घनश्याम (बुड्ढा मिल गया), 
  * छूकर मेरे मन को (याराना), 
  * कैसे बीते दिन कैसे बीती रतिया (अनुराधा), 
  * तकदीर का फसाना गाकर किसे सुनाये ( सेहरा ), 
  * रहते थे कभी जिनके दिल मे (ममता ), 
  * हमने तुमसे प्यार किया हैं इतना (दूल्हा दुल्हन ), 
  * तुम कमसिन हो नादां हो (आई मिलन की बेला)
  🎻🎺🎵🎼
4. दुर्बलता (weakness)
  यह शारीरिक शक्तिहीनता से संबन्धित है| व्यक्ति कुछ कर पाने मे स्वयं को असमर्थ अनुभव करता है। इस में राग जयजयवंती सुनना या गाना लाभदायक है। इस राग के प्रमुख गीत हैं :-
  * मनमोहना बड़े झूठे (सीमा), 
  * बैरन नींद ना आए (चाचा ज़िंदाबाद), 
  * मोहब्बत की राहों मे चलना संभलके (उड़न खटोला ), 
  * साज हो तुम आवाज़ हूँ मैं (चन्द्रगुप्त ), 
  * ज़िंदगी आज मेरे नाम से शर्माती हैं (दिल दिया दर्द लिया ), 
  * तुम्हें जो भी देख लेगा किसी का ना (बीस साल बाद )
  🎼🎺🎵🎻
5. स्मरण (memory loss)
  जिनका स्मरण क्षीण हो रहा हो, उन्हे राग शिवरंजनी सुनने से लाभ मिलता है | इस राग के प्रमुख गीत है - 
  * ना किसी की आँख का नूर हूँ (लालकिला), 
  * मेरे नैना (मेहेबूबा), 
  * दिल के झरोखे मे तुझको (ब्रह्मचारी), 
  * ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम (संगम ), 
  * जीता था जिसके (दिलवाले), 
  * जाने कहाँ गए वो दिन (मेरा नाम जोकर )
  🎻🎺🎼🎵
6. रक्त की कमी (animia)
  होने पर व्यक्ति का मुख निस्तेज व सूखा सा रहता है। स्वभाव में भी चिड़चिड़ापन होता है। ऐसे में राग पीलू से संबन्धित गीत सुनें :-
  * आज सोचा तो आँसू भर आए (हँसते जख्म), * नदिया किनारे (अभिमान), 
  * खाली हाथ शाम आई है (इजाजत), 
  * तेरे बिन सूने नयन हमारे (लता रफी), 
  * मैंने रंग ली आज चुनरिया (दुल्हन एक रात की), 
  * मोरे सैयाजी उतरेंगे पार (उड़न खटोला),
  🎵🎻🎼🎺
7. मनोरोग अथवा अवसाद (psycho or depression)
  राग बिहाग व राग मधुवंती सुनना लाभदायक है। इन रागों के प्रमुख गीत है :-
  * तुझे देने को मेरे पास कुछ नही (कुदरत नई), * तेरे प्यार मे दिलदार (मेरे महबूब), 
  * पिया बावरी (खूबसूरत पुरानी), 
  * दिल जो ना कह सका (भीगी रात), 
  * तुम तो प्यार हो (सेहरा), 
  * मेरे सुर और तेरे गीत (गूंज उठी शहनाई ), 
  * मतवारी नार ठुमक ठुमक चली जाये मोहे (आम्रपाली), 
  * सखी रे मेरा तन उलझे मन डोले (चित्रलेखा)
  🎼🎺🎵🎻
8. रक्तचाप (blood pressure)
  ऊंचे रक्तचाप मे धीमी गति और निम्न रक्तचाप मे तीव्र गति का गीत संगीत लाभ देता है। शास्त्रीय रागों मे राग भूपाली को विलंबित व तीव्र गति से सुना या गाया जा सकता है। -----ऊंचे रक्तचाप मे (high BP)
  * चल उडजा रे पंछी कि अब ये देश (भाभी), 
  * ज्योति कलश छलके (भाभी की चूड़ियाँ ), 
  * चलो दिलदार चलो (पाकीजा ), 
  * नीले गगन के तले (हमराज़) 
  -----निम्न रक्तचाप मे (low BP)
  * ओ नींद ना मुझको आए (पोस्ट बॉक्स न. 909), 
  * बेगानी शादी मे अब्दुल्ला दीवाना (जिस देश मे गंगा बहती हैं ), 
  * जहां डाल डाल पर ( सिकंदरे आजम ), 
  * पंख होते तो उड़ आती रे (सेहरा ) 
  🎻🎺🎼🎵
9. अस्थमा (asthma)
  आस्था तथा भक्ति पर आधारित गीत संगीत सुनने व गाने से लाभ राग मालकँस व राग ललित से संबन्धित गीत सुने जा सकते हैं। जिनमें प्रमुख गीत :-
  * तू छुपी हैं कहाँ (नवरंग), 
  * तू है मेरा प्रेम देवता (कल्पना), 
  * एक शहँशाह ने बनवा के हंसी ताजमहल (लीडर), 
  * मन तड़पत हरी दर्शन को आज (बैजू बावरा ), आधा है चंद्रमा ( नवरंग )
  🎵🎻🎺🎼khs
10. शिरोवेदना (headache)
  राग भैरव सुनना लाभदायक होता है। इस राग के प्रमुख गीत :-
  * मोहे भूल गए सावरियाँ (बैजू बावरा), 
  * राम तेरी गंगा मैली (शीर्षक), 
  * पूंछों ना कैसे मैंने रैन बिताई (तेरी सूरत मेरी आँखें), 
  * सोलह बरस की बाली उमर को सलाम (एक दूजे के लिए)
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❤ जीवनोपयोगी❤
1. सुबह उठ कर कैसा पानी पीना चाहिए
उत्तर - हल्का गर्म
2. पानी पीने का क्या तरीका होता है
उत्तर - सिप सिप करके व नीचे बैठ कर
3. खाना कितनी बार चबाना चाहिए
उत्तर. - 32 बार
4. पेट भर कर खाना कब खाना चाहिए
उत्तर. - सुबह
5. सुबह का नाश्ता कब तक खा लेना चाहिए
उत्तर. - सूरज निकलने के ढाई घण्टे तक
6.  सुबह खाने के साथ क्या पीना चाहिए
       
       उत्तर. -     जूस
7. दोपहर को खाने के साथ क्या पीना चाहिए
उत्तर. - लस्सी / छाछ
8. रात को खाने के साथ क्या पीना चाहिए
उत्तर. - दूध
9. खट्टे फल किस समय नही खाने चाहिए
उत्तर. - रात को
10. आईसक्रीम कब खानी चाहिए
उत्तर. - कभी नही
11. फ्रिज़ से निकाली हुई चीज कितनी देर बाद 
        खानी चाहिए
उत्तर. - 1 घण्टे बाद
12. क्या कोल्ड ड्रिंक पीना चाहिए
उत्तर. - नहीं
13.  बना हुआ खाना कितनी देर बाद तक खा 
        लेना चाहिए
उत्तर. - 40 मिनट
14. रात को कितना खाना खाना चाहिए
उत्तर. - न के बराबर
15. रात का खाना किस समय कर लेना चाहिए
उत्तर. - सूरज छिपने से पहले
16. पानी खाना खाने से कितने समय पहले 
        पी सकते हैं
उत्तर. - 48 मिनट
17. क्या रात को लस्सी पी सकते हैं
उत्तर. - नही
18. सुबह खाने के बाद क्या करना चाहिए
उत्तर. - काम
19. दोपहर को खाना खाने के बाद क्या करना 
         चाहिए 
उत्तर. - आराम
20. रात को खाना खाने के बाद क्या करना
        चाहिए
उत्तर. - 500 कदम चलना चाहिए
21. खाना खाने के बाद हमेशा क्या करना 
        चाहिए
उत्तर. - वज्रासन
22. खाना खाने के बाद वज्रासन कितनी देर 
        करना चाहिए. 
       
        उत्तर. -     5 -10 मिनट
23. सुबह उठ कर आखों मे क्या डालना चाहिए
उत्तर. - मुंह की लार
24. रात को किस समय तक सो जाना चाहिए
उत्तर. - 9 - 10 बजे तक
25. तीन जहर के नाम बताओ
उत्तर.- चीनी , मैदा , सफेद नमक
26. दोपहर को सब्जी मे क्या डाल कर खाना 
        चाहिए
उत्तर. - अजवायन
27. क्या रात को सलाद खानी चाहिए
उत्तर. - नहीं
27. खाना हमेशा कैसे खाना चाहिए
उत्तर. - नीचे बैठकर व खूब चबाकर
28. क्या विदेशी समान खरीदना चाहिए
उत्तर. - कभी नही
30. चाय कब पीनी चाहिए
उत्तर. - कभी नहीं
31. दूध मे क्या डाल कर पीना चाहिए
उत्तर. - हल्दी
32. दूध में हल्दी डालकर क्यों पीनी चाहिए
उत्तर. - कैंसर ना हो इसलिए
33. कौन सी चिकित्सा पद्धति ठीक है
उत्तर. - आयुर्वेद
34. सोने के बर्तन का पानी कब पीना चाहिए
उत्तर. - अक्टूबर से मार्च (सर्दियों मे)
35. ताम्बे के बर्तन का पानी कब पीना चाहिए
उत्तर. - जून से सितम्बर(वर्षा ऋतु)
36. मिट्टी के घड़े का पानी कब पीना चाहिए
उत्तर. - मार्च से जून (गर्मियों में)
37. सुबह का पानी कितना पीना चाहिए
उत्तर. - कम से कम 2 - 3 गिलास
38. सुबह कब उठना चाहिए
       उत्तर. -  सूरज निकलने से डेढ़ घण्टा पहले 
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  🙏🙏🙏🙏❤🙏🙏🙏🙏
🍎🍉आहार ही औषधी 🍏🍑
            
   🍆🌽foods that heal
  🍋🍐 भोजन द्वारा स्वास्थ्य🍒
(1)-केला: 🍌
  ब्लडप्रेशर नियंत्रित करता है,हड्डियों को मजबूत बनाता है,हृदय की सुरक्षा करता है,अतिसार में लाभदायक है, खांसी में हितकारी है।
(2)-जामुन:  🌑
  केन्सर की रोक थाम,हृदय की सुरक्षा,कब्ज मिटाता है,स्मरण शक्ति बढाता है,रक्त शर्करा नियंत्रित करता है।डायबीटीज में अति लाभदायक।
(3)-सेवफ़ल: 🍎
  हृदय की सुरक्षा करता है, दस्त रोकता है,कब्ज में फ़ायदेमंद है,फ़ेफ़डे की शक्ति बढाता है.
(4)-चुकंदर:-🍐
  वजन घटाता है,ब्लडप्रेशर नियंत्रित करता है,अस्थिक्छरण रोकता है,केंसर के विरुद्ध लडता है,हृदय की सुरक्षा करता है।
(5)-पत्ता गोभी: 🍏
  बवासीर में हितकारी है,हृदय रोगों में लाभदायक है,कब्ज मिटाता है,वजन घटाने  में सहायक है। केंसर में फ़ायदेमंद है।
(6)-गाजर:- 
  नेत्र ज्योति वर्धक है, केंसर प्रतिरोधक है, वजन घटाने मेँ सहायक है, कब्ज मिटाता है, हृदय की सुरक्षा करता है।
(7)- फ़ूल गोभी:-🍈
  हड्डियों को मजबूत बनाता है, स्तन केंसर से बचाव करता है, प्रोस्टेट ग्रंथि के केंसर में भी उपयोगी है, चोंट,खरोंच ठीक करता है।
(8)-लहसुन:🍓
  कोलेस्टरोल है, रक्त चाप घटाती है, कीटाणुनाशक है,केंसर से लडती है 
(9)-नींबू:🍊
  त्वचा को मुलायम बनाता है,केंसर अवरोधक है, हृदय की सुरक्षा करता है,,ब्लड प्रेशर नियंत्रित करता है, स्कर्वी रोग नाशक है।
  (10)-अंगूर:🍇
  रक्त प्रवाह वर्धक है, हृदय की सुरक्षा करता है, केंसर से लडता है, गुर्दे की पथरी नष्ट करता है, नेत्र ज्योति वर्धक है।
(11)-आम:🍋
  केंसर से बचाव करता है,थायराईड रोग में हितकारी है, पाचन शक्ति बढाता है, याददाश्त की कमजोरी में हितकर है।
(12)-प्याज: 🍑
  फ़ंगस रोधी गुण हैं, हार्ट अटेक की रिस्क को कम करता है। जीवाणु नाशक है,केंसर विरोधी है खराब कोलेस्टरोल को घटाता है।
(14)-अलसी के बीज:
  मानसिक शक्ति वर्धक है, रोग प्रतिकारक शक्ति को ताकत देता है, डायबीटीज में उपकारी है, हृदय की सुरक्षा करता है, पाचन शक्ति को ठीक करता है।
(15)-संतरा:🍈
  हृदय की सुरक्षा करता है, रोग प्रतिकारक शक्ति उन्नत करता है,, श्वसन पथ के विकारों में लाभकारी है, केंसर में हितकारी है
(16)-टमाटर: 🍎
  कोलेस्टरोल कम करता है, प्रोस्टेट ग्रंथि के स्वास्थ्य के लिये उपकारी है,केंसर से बचाव करता है, हृदय की सुरक्षा
###आयुर्वेद की महान देन त्रिफला###
त्रिफला के सेवन से अपने शरीर का कायाकल्प कर जीवन भर स्वस्थ रहा जा सकता है | आयुर्वेद की महान देन त्रिफला से हमारे देश का आम व्यक्ति परिचित है व सभी ने कभी न कभी कब्ज दूर करने के लिए इसका सेवन भी जरुर किया होगा | पर बहुत कम लोग जानते है इस त्रिफला चूर्ण जिसे आयुर्वेद रसायन भी मानता है से अपने कमजोर शरीर का कायाकल्प किया जा सकता है | बस जरुरत है तो इसके नियमित सेवन करने की | क्योंकि त्रिफला का वर्षों तक नियमित सेवन ही आपके शरीर का कायाकल्प कर सकता है | www.Facebook.com/arpanayurveda
सेवन विधि - सुबह हाथ मुंह धोने व कुल्ला आदि करने के बाद खाली पेट ताजे पानी के साथ इसका सेवन करें तथा सेवन के बाद एक घंटे तक पानी के अलावा कुछ ना लें | इस नियम का कठोरता से पालन करें |
यह तो हुई साधारण विधि पर आप कायाकल्प के लिए नियमित इसका इस्तेमाल कर रहे है तो इसे विभिन्न ऋतुओं के अनुसार इसके साथ गुड़, सैंधा नमक आदि विभिन्न वस्तुएं मिलाकर ले | हमारे यहाँ वर्ष भर में छ: ऋतुएँ होती है और प्रत्येक ऋतू में दो दो मास |
१- ग्रीष्म ऋतू - १४ मई से १३ जुलाई तक त्रिफला को गुड़ १/४ भाग मिलाकर सेवन करें |
२- वर्षा ऋतू - १४ जुलाई से १३ सितम्बर तक इस त्रिदोषनाशक चूर्ण के साथ सैंधा नमक १/४ भाग मिलाकर सेवन करें |
३- शरद ऋतू - १४ सितम्बर से १३ नवम्बर तक त्रिफला के साथ देशी खांड १/४ भाग मिलाकर सेवन करें |
४- हेमंत ऋतू - १४ नवम्बर से १३ जनवरी के बीच त्रिफला के साथ सौंठ का चूर्ण १/४ भाग मिलाकर सेवन करें |
५- शिशिर ऋतू - १४ जनवरी से १३ मार्च के बीच पीपल छोटी का चूर्ण १/४ भाग मिलाकर सेवन करें |
६- बसंत ऋतू - १४ मार्च से १३ मई के दौरान इस के साथ शहद मिलाकर सेवन करें | शहद उतना मिलाएं जितना मिलाने से अवलेह बन जाये |www.Facebook.com/arpanayurveda
इस तरह इसका सेवन करने से एक वर्ष के भीतर शरीर की सुस्ती दूर होगी , दो वर्ष सेवन से सभी रोगों का नाश होगा , तीसरे वर्ष तक सेवन से नेत्रों की ज्योति बढ़ेगी , चार वर्ष तक सेवन से चेहरे का सोंदर्य निखरेगा , पांच वर्ष तक सेवन के बाद बुद्धि का अभूतपूर्व विकास होगा ,छ: वर्ष सेवन के बाद बल बढेगा , सातवें वर्ष में सफ़ेद बाल काले होने शुरू हो जायेंगे और आठ वर्ष सेवन के बाद शरीर युवाशक्ति सा परिपूर्ण लगेगा |
दो तोला हरड बड़ी मंगावे |तासू दुगुन बहेड़ा लावे ||
और चतुर्गुण मेरे मीता |ले आंवला परम पुनीता ||
कूट छान या विधि खाय|ताके रोग सर्व कट जाय ||
त्रिफला का अनुपात होना चाहिए :- 1:2:3=1(हरद )+2(बहेड़ा )+3(आंवला )
त्रिफला लेने का सही नियम -
*सुबह अगर हम त्रिफला लेते हैं तो उसको हम "पोषक " कहते हैं |क्योंकि सुबह त्रिफला लेने से त्रिफला शरीर को पोषण देता है जैसे शरीर में vitamine ,iron,calcium,micronutrients की कमी को पूरा करता है एक स्वस्थ व्यक्ति को सुबह त्रिफला खाना चाहिए |
*सुबह जो त्रिफला खाएं हमेशा गुड के साथ खाएं |
*रात में जब त्रिफला लेते हैं उसे "रेचक " कहते है क्योंकि रात में त्रिफला लेने से पेट की सफाई (कब्ज इत्यादि )का निवारण होता है |
*रात में त्रिफला हमेशा गर्म दूध के साथ लेना चाहिए |
नेत्र-प्रक्षलन : एक चम्मच त्रिफला चूर्ण रात को एक कटोरी पानी में भिगोकर रखें। सुबह कपड़े से छानकर उस पानी से आंखें धो लें। यह प्रयोग आंखों के लिए अत्यंत हितकर है। इससे आंखें स्वच्छ व दृष्टि सूक्ष्म होती है। आंखों की जलन, लालिमा आदि तकलीफें दूर होती हैं।
- कुल्ला करना : त्रिफला रात को पानी में भिगोकर रखें। सुबह मंजन करने के बाद यह पानी मुंह में भरकर रखें। थोड़ी देर बाद निकाल दें। इससे दांत व मसूड़े वृद्धावस्था तक मजबूत रहते हैं। इससे अरुचि, मुख की दुर्गंध व मुंह के छाले नष्ट होते हैं।
- त्रिफला के गुनगुने काढ़े में शहद मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है। त्रिफला के काढ़े से घाव धोने से एलोपैथिक- एंटिसेप्टिक की आवश्यकता नहीं रहती। घाव जल्दी भर जाता है।
- गाय का घी व शहद के मिश्रण (घी अधिक व शहद कम) के साथ त्रिफला चूर्ण का सेवन आंखों के लिए वरदान स्वरूप है।
- संयमित आहार-विहार के साथ इसका नियमित प्रयोग करने से मोतियाबिंद, कांचबिंदु-दृष्टिदोष आदि नेत्र रोग होने की संभावना नहीं होती।
- मूत्र संबंधी सभी विकारों व मधुमेह में यह फायदेमंद है। रात को गुनगुने पानी के साथ त्रिफला लेने से कब्ज नहीं रहती है।
- मात्रा : 2 से 4 ग्राम चूर्ण दोपहर को भोजन के बाद अथवा रात को गुनगुने पानी के साथ लें।
- त्रिफला का सेवन रेडियोधर्मिता से भी बचाव करता है। प्रयोगों में देखा गया है कि त्रिफला की खुराकों से गामा किरणों के रेडिएशन के प्रभाव से होने वाली अस्वस्थता के लक्षण भी नहीं पाए जाते हैं। इसीलिए त्रिफला चूर्ण आयुर्वेद का अनमोल उपहार कहा जाता है।
सावधानी : दुर्बल, कृश व्यक्ति तथा गर्भवती स्त्री को एवं नए बुखार में त्रिफला का सेवन नहीं करना चाहिए।www.Facebook.com/arpanayurveda
  
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| धन्यवाद | |||||||||||||||||||||||||||||||||
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###आयुर्वेद की महान देन त्रिफला###
त्रिफला के सेवन से अपने शरीर का कायाकल्प कर जीवन भर स्वस्थ रहा जा सकता है | आयुर्वेद की महान देन त्रिफला से हमारे देश का आम व्यक्ति परिचित है व सभी ने कभी न कभी कब्ज दूर करने के लिए इसका सेवन भी जरुर किया होगा | पर बहुत कम लोग जानते है इस त्रिफला चूर्ण जिसे आयुर्वेद रसायन भी मानता है से अपने कमजोर शरीर का कायाकल्प किया जा सकता है | बस जरुरत है तो इसके नियमित सेवन करने की | क्योंकि त्रिफला का वर्षों तक नियमित सेवन ही आपके शरीर का कायाकल्प कर सकता है | www.Facebook.com/arpanayurveda
सेवन विधि - सुबह हाथ मुंह धोने व कुल्ला आदि करने के बाद खाली पेट ताजे पानी के साथ इसका सेवन करें तथा सेवन के बाद एक घंटे तक पानी के अलावा कुछ ना लें | इस नियम का कठोरता से पालन करें |
यह तो हुई साधारण विधि पर आप कायाकल्प के लिए नियमित इसका इस्तेमाल कर रहे है तो इसे विभिन्न ऋतुओं के अनुसार इसके साथ गुड़, सैंधा नमक आदि विभिन्न वस्तुएं मिलाकर ले | हमारे यहाँ वर्ष भर में छ: ऋतुएँ होती है और प्रत्येक ऋतू में दो दो मास |
१- ग्रीष्म ऋतू - १४ मई से १३ जुलाई तक त्रिफला को गुड़ १/४ भाग मिलाकर सेवन करें |
२- वर्षा ऋतू - १४ जुलाई से १३ सितम्बर तक इस त्रिदोषनाशक चूर्ण के साथ सैंधा नमक १/४ भाग मिलाकर सेवन करें |
३- शरद ऋतू - १४ सितम्बर से १३ नवम्बर तक त्रिफला के साथ देशी खांड १/४ भाग मिलाकर सेवन करें |
४- हेमंत ऋतू - १४ नवम्बर से १३ जनवरी के बीच त्रिफला के साथ सौंठ का चूर्ण १/४ भाग मिलाकर सेवन करें |
५- शिशिर ऋतू - १४ जनवरी से १३ मार्च के बीच पीपल छोटी का चूर्ण १/४ भाग मिलाकर सेवन करें |
६- बसंत ऋतू - १४ मार्च से १३ मई के दौरान इस के साथ शहद मिलाकर सेवन करें | शहद उतना मिलाएं जितना मिलाने से अवलेह बन जाये |www.Facebook.com/arpanayurveda
इस तरह इसका सेवन करने से एक वर्ष के भीतर शरीर की सुस्ती दूर होगी , दो वर्ष सेवन से सभी रोगों का नाश होगा , तीसरे वर्ष तक सेवन से नेत्रों की ज्योति बढ़ेगी , चार वर्ष तक सेवन से चेहरे का सोंदर्य निखरेगा , पांच वर्ष तक सेवन के बाद बुद्धि का अभूतपूर्व विकास होगा ,छ: वर्ष सेवन के बाद बल बढेगा , सातवें वर्ष में सफ़ेद बाल काले होने शुरू हो जायेंगे और आठ वर्ष सेवन के बाद शरीर युवाशक्ति सा परिपूर्ण लगेगा |
दो तोला हरड बड़ी मंगावे |तासू दुगुन बहेड़ा लावे ||
और चतुर्गुण मेरे मीता |ले आंवला परम पुनीता ||
कूट छान या विधि खाय|ताके रोग सर्व कट जाय ||
त्रिफला का अनुपात होना चाहिए :- 1:2:3=1(हरद )+2(बहेड़ा )+3(आंवला )
त्रिफला लेने का सही नियम -
*सुबह अगर हम त्रिफला लेते हैं तो उसको हम "पोषक " कहते हैं |क्योंकि सुबह त्रिफला लेने से त्रिफला शरीर को पोषण देता है जैसे शरीर में vitamine ,iron,calcium,micronutrients की कमी को पूरा करता है एक स्वस्थ व्यक्ति को सुबह त्रिफला खाना चाहिए |
*सुबह जो त्रिफला खाएं हमेशा गुड के साथ खाएं |
*रात में जब त्रिफला लेते हैं उसे "रेचक " कहते है क्योंकि रात में त्रिफला लेने से पेट की सफाई (कब्ज इत्यादि )का निवारण होता है |
*रात में त्रिफला हमेशा गर्म दूध के साथ लेना चाहिए |
नेत्र-प्रक्षलन : एक चम्मच त्रिफला चूर्ण रात को एक कटोरी पानी में भिगोकर रखें। सुबह कपड़े से छानकर उस पानी से आंखें धो लें। यह प्रयोग आंखों के लिए अत्यंत हितकर है। इससे आंखें स्वच्छ व दृष्टि सूक्ष्म होती है। आंखों की जलन, लालिमा आदि तकलीफें दूर होती हैं।
- कुल्ला करना : त्रिफला रात को पानी में भिगोकर रखें। सुबह मंजन करने के बाद यह पानी मुंह में भरकर रखें। थोड़ी देर बाद निकाल दें। इससे दांत व मसूड़े वृद्धावस्था तक मजबूत रहते हैं। इससे अरुचि, मुख की दुर्गंध व मुंह के छाले नष्ट होते हैं।
- त्रिफला के गुनगुने काढ़े में शहद मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है। त्रिफला के काढ़े से घाव धोने से एलोपैथिक- एंटिसेप्टिक की आवश्यकता नहीं रहती। घाव जल्दी भर जाता है।
- गाय का घी व शहद के मिश्रण (घी अधिक व शहद कम) के साथ त्रिफला चूर्ण का सेवन आंखों के लिए वरदान स्वरूप है।
- संयमित आहार-विहार के साथ इसका नियमित प्रयोग करने से मोतियाबिंद, कांचबिंदु-दृष्टिदोष आदि नेत्र रोग होने की संभावना नहीं होती।
- मूत्र संबंधी सभी विकारों व मधुमेह में यह फायदेमंद है। रात को गुनगुने पानी के साथ त्रिफला लेने से कब्ज नहीं रहती है।
- मात्रा : 2 से 4 ग्राम चूर्ण दोपहर को भोजन के बाद अथवा रात को गुनगुने पानी के साथ लें।
- त्रिफला का सेवन रेडियोधर्मिता से भी बचाव करता है। प्रयोगों में देखा गया है कि त्रिफला की खुराकों से गामा किरणों के रेडिएशन के प्रभाव से होने वाली अस्वस्थता के लक्षण भी नहीं पाए जाते हैं। इसीलिए त्रिफला चूर्ण आयुर्वेद का अनमोल उपहार कहा जाता है।
सावधानी : दुर्बल, कृश व्यक्ति तथा गर्भवती स्त्री को एवं नए बुखार में त्रिफला का सेवन नहीं करना चाहिए।www.Facebook.com/arpanayurveda

परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
जिनका आज जनम दिन या विवहा की सालगिरह है
उनको को आशीर्वाद देते हुए
  
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