- 87*काम करते चलो नाम जपते चलो !
हर समय शिव का ध्यान धरते चलो !
नाम धन का खज़ाना बढाते चलो !
प्रेम से तुम प्रभू को रिझाते चलो !
अपने मन को सुमार्ग पर चलाते चलो !
88*किसी दिन देखना ,तुम्हें ऐसी नीद आएगी !
तुम सोए जग नहीं पाओगे ,दुनिया तुम्हें जगाएगी!!
89*सुमिरन सुरति लगाय के ,मुख से कुछ न बोल !
बाहर के पट देय के , अन्दर के पट खोल !!
90*सही रूप उभरेगा उस दिन मानव के उथान का !
जिस दिन होगा मिलन विश्व में धर्म और विज्ञान का !
स्वार्थ नहीं परमार्थ बनेगा ,चरम लक्ष्य जग में जन जन का !
ईर्श्या-द्वेष कलह हिंसा से कलुषित क्षेत्र न होगा मन का !
प्रिमार्जन पुरुषार्थ करेगा ,बिगडे भाग्य विधान का !
जिस दिन होगा मिलन विश्व में धर्म और विज्ञान का !
91*बदऊं गुरु पदुम परागा !
सुरुचि सुबास सरस अनुरागा !
अमिअ मूरिम चूरन चारू !
समन सकल भव रुज प्रिवारू !
92*भव्सागर सब सूख गयो हे !
फिकर नहीं मोहे तरनन की!
मोह्र लागी लगन गुरु चरनन की !
93*गुरु शब्ध का अर्थ ,
अति गुह्य बतलाते हें !
गुरु की यदि कृपा हो तो ,
अधम व्यक्ति तर जाते हें !!
94*जीवन क्या हे ?निर्झर हे ,मस्ती ही उसका पानी हे !
सुख दुख के दो किनारों से ,चल रहा मन मानी हे !
95*साधु कुछ नहीं मांगते उदर समाता लेय !
आगे पीछे राम हैं जब मांगे तब देय !!
96*खुशी के गीत सदा गाओ ,
सत्कर्म सुमन से धरती महकाओ !
ईश्वर ने कितना कुछ तुम्हें बख्शा ,
मानव ! तुम सन्तुष्ट होकर दिखलाओ !!
97*बकरी जो में में करे ,
गले छुरी चलवाए ,
दे कर जो में न कहे ,
सब के मन को भाए !
98*एक भरोसा एक पक्ष ,
एक आस एक विश्वास ,
एक राम एक घन्श्याम हे ,
चातक तुलसीदास !
99*रहिमन धागा प्रेम का
मत तोडो चटकाय!
टूटे से फिर न जुडे ,
जुडे गांठ पड जाए !
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Tuesday, December 1, 2009
दोहे -१०
Sunday, November 29, 2009
Saturday, November 21, 2009
दोहे-१०
- 82*चलो प्रभू की नगरिया दुनिया से नाता तोड्के !
पेट पकड्कर मैया रोए , बांह पकडकर भैया!
पैर पकड कर छोडत नाहीं , रो-रोकर कह रही तिरया !
कहाँ जाते हो अकेले सइया ,धोली चुनरिया ओढके !
चलो प्रभू की नगरिया दुनिया से नाता तोड्के !
83*डूबतों को बचा लेने वाले , मेरी नैया हे तेरे हवाले !
नैया पडी मंझदार ,गुरु बिन कैसे लागे पार !
84*इक तेरी दया का दान मिले ,ऐक तेरा सहारा मिल जाए !
भवसागर में बहती मेरी नैया को , किनारा मिल जाए 1
85*मेरा नाथ तू हे ,मेरा नाथ तू हे !
नहीं में अकेला , मेरे साथ तू हे !
मेरा राम तू हे ,मेरा श्याम तू हे !
मेरी जिन्दगी की ,सुबह-शाम तू हे !
86*हे नाथ अब तो ऐसी कृपा हो ,
जीवन निरर्थक जाने न पाए !
दोहे-९
74*न खुदा ही मिला , न विसाले सनम !
न इधर के रहे , न उधर के रहे !!
75*पास रहता हूँ तेरे सदा !
तू नहीं देख पाए तो में क्या करूँ !!
76*भरोसा कर तू ईश्वर पर , तुझे धोका नहीं होगा !
यह जीवन बीत जाएगा , तुझे रोना नहीं होगा !!
77*जिन्दगी का सफर करने वाले ,
अपने मन का दिया तो जला !
78*प्रेम बिना जो भक्ति हे , सो नित दम्भ विचार !
उदर भरत् के कारन , जन्म गंवाए सार !!
79*हे -री मैने लिया गोविंन्द मोल ,
कोई कहे महगा, कोई कहे सस्ता ,
में ने लिया तराजू तोल !!
80*मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरा न कोई !!- 81*ऐसी लागी लगन ,मीरा हो गई मगन ,
वह तो गली गली हरि गुण गाने लगी !!
Friday, November 20, 2009
दोहे-८
71*घृत नया धान पुराना घर कुलवन्ती नार !
आंगन में बालक खेल्रे स्वर्ग निशानी जान !!
72*रूखा भोजन कर्ज सिर पर कुलक्षणी नार !
आवत का आदर नहीं नरक निशानी जान !!
73*पहला सुख निरोगी काया ,दूजा सुख घर में हो माया !
तीजा सुख पुत्र आग्याकारी,चौथा सुख पतिव्रता नारी !
पांचवां सुख राज्य विपासा ,छठा सुख सुस्थान निवास !
सातवाँ सुख विद्या फलदाता ये सातों सुख रचे विधाता !
Thursday, November 19, 2009
दोहे -७
जमाना हम को ढूढेगा न जाने हम कहां होंगे !!
56*दुनिया में खूब कमाया क्या हीरे क्या मोती !
पर क्या करें यारो कफन में जेब नहीं होती !!
57*दुनिया में हूं दुनिया का तलबगार नहीं हूं !
बाजार से गुजारा हूँ पर खरीदार नहीं हूँ !!
58*कबीर खडा बाजार में सब की माँगें खैर !
ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर !
59*झुके तेरे आगे वह सर मांगता हूं ,
तुझे देखने की नजर मांगता हूं !
न घर मांगता हूं न जर मांगता हूं ,
न हो जाऊं बेसुध जलवे में तेरे ,
ईलाही में ऐसी नजर मांगता हूं !
60*मिटा दे अपनी हस्ती को गर मर्तबा चाहे!
कि दाना खाक में मिल गुलो-गुलजार होता हे !!
61*रहिमन विपदा हू भली,जो थोडे दिन होय !
हित अन्हित या जगत में ,जान परे सब कोय !!
62*जिन दिन देखे वे सुमन ,गई सो बीती बहार !
अब अलि रहि गुलाब में लिपट कटीली डार !!
लगता नहीं दिल मेरा ,उजडे ब्यार में!
63*उमरे दराज मांग कर लाए चार दिन,
दो आरजू में कट गये दो इंतजार में !
इतना हे बदनसीब जफर दफन के लिए,
दो गज जमीन भी न मिलि कुंएयार में !
Tuesday, November 17, 2009
दोहे -६
नदी सरोवर सागर बरसे लागे झरिया भारी !
मेरे आंगन क्यों न बरसे में क्या बात बिगारी !!
मेघा बरस बरस रसवारि
तुम बरसो में जी भर नहाऊँ दोनो हाथ पसारी !!
49*एक हूक सी दिल में उठती हे ,एक दर्द सा दिल में उठता हे !
हम रात में उठ कर रोते हें , जब सारा आलम सोता हे !
50*सांई इतना दीजिए जामें कुटुम्ब समाय !
में भी भूखा न रहूं साधू न भूखा जाय !!
51*झुके तेरे आगे वह सर माँगता हूं ,
तुझे देखने की नज़र माँगता हूं !
न घर मांगता हूं न ज़र माँगता हूं ,
न हो जाऊँ बेसुध जलवे से तेरे ,
इलाही मैं ऐसी नज़र माँगता हूं !
52* ओरों का पिया परदेस बसत हे लिख लिख भेजें पात्ती!
मेरे पिय हृदय मे बसत हें गूँज करे दिन राती !
53*कबीरा हँसना बंद कर ,रोने से कर प्रीत !
रोकर ही पाइये प्रेम पियारा मीत !!
54*तुझ संग अरदास हमारी जिओ पिन्ड सब तेरा ,
कहा नानक सब तेरी बडिया कोई नाम न जाने मेरा !!
दोहे-५
मेरा सजदा वहां होगा !
38 *मेरे जैसे तो लाखों होंगे ,
पर तेरे जैसा प्यारा कहां होगा !!
39 *बाह छिडाय जात हो ,निरबल जान के मोहे,
हृदय से जाओगे सबल गिनूंगा तोहे !
40 *करवट भला न लागत तोरी ,
हात पकड सुन विनती मोरी !
41 *तुम ने दिया देश को जीवन ,
देश तुम्हें क्या देगा ,
अपनी आग बुझाने को ,
नाम तुम्हारा लेगा !!
42 *"आदमी का जिस्म है क्या, जिस पर शैदा है जहाँ ,
एक मिट्टी की इमारत , एक मिट्टी का मकां,
खून का गारा बना ,ईंट जिसमें हड्डियाँ ,
चंद शवासों पर खडा हे यह खयाले आशियां ,
मौत की पुर जोर आँधी जब इससे टकरायगी ,
देख लेना यह इमारत खाक में मिल जायेगी "
43 *भक्ति की सुधि यों करो जैसे कामी काम!
कह कबीर बिसरत नहीं निसदिन आठों वाम !!
44 *भक्ति की सुध यों करो जैसे दाम कंगाल !
कह कबीर विसरत नहीं , पल पल लेत समहाल !!
45 *आये सो जायेंगें राजा रंक फकीर !
ऐक सिंहासन चढि चले ऐक बंधे जंजीर !!
46 *भव सागर में बही जात हूं ,काढो तो थारी मरजी,
या सागर सगा न कोई ,सांचा सगा रघुवरजी !
47 *पिता और कुटुम्ब कबीला ,सब मतलब के गरजी,
मीरा की प्रभू अरजी सुन लो ,चरण लगाओ थारी मरजी !1
Monday, November 16, 2009
दोहे-4
- ३० *कबीर मन निरमल भया ,जैसे गंगा का नीर !
पीछे पीछे हरि फिरें ,कहत कबीर कबीर !!
३१ *जन्नी जने तो भक्त जन ,या दाता या शूर !
नहीं तो बांझ रहे, मत गवांवे नूर !!
३२ *सुख के माथे सिल पडे , नाम प्रभु का भुलाये !
बलिहारी इस दुख की , जो पल पल नाम जपाये !!
३३ *मेरा मुझ में कुछ नहीं ,जो कुछ हे सब तोर !
तेरा तुझ को सोंप कर ,क्या लागे मोर !!
३४ *जिन्दगी हे कशमकश ,मौत हे कामिल सकून ,
शहर में हे शोरोशर ,मकबरा खामोश हे !
३५ *चलती चाकी देख कर दिया कबीरा रोय ,
दो पाटन के बीच में बाकी बचा न कोय !!
३६ *कीली पासे जो रहे बाकी पिसे बलाय !
Sunday, November 15, 2009
दोहे -३
- १९ *राम राम रटते रहो ,जब तक घट में प्राण !
कभी तो दीन दयालू के भनक पडेगी कान !!
२० *रात यूँ कहने लगा मुझ से गगन का चांद ,
आदमी भी क्या अनोखा जीव हे !!
२१ *जब में था हरी नहीं ,हरी हे में नहीं ,
प्रेम गलि अति सांकरि या में दो न समाएं!
२२ *चाह गयी चिंता मिटि ,मनवा बे परवाह ,
जिसको कुछ नहीं चाहिए वही शाहों का शाह !
२३ *देह धरि का दड हे ,सब काहु को होय ,
ग्यानी भुगते हंस हंस कर ,मूरख भुगते रोये !
२४ *सिर मुंडाये तीन गुण ,सिर की मिट जाये खाज ,
खाने को हल्वा मिले ,लोग कहें महाराज !
२५ *मन के हारे हार हे , मन के जीते जीत !
२६ *कहता हुं कहे जात हूँ, बजा बजा ढोल,
यह श्वासा खाली जात हे तीन लोक का मोल !
२७ *तुलसी तुलसी सब कहें , तुलसी बन की घास ,
जब से भई कृपा राम कि ,तो बन गये तुलसी दास !
२८ *दुनिया में हूँ ,पर दुनिया का तलब्गार नहीं हूं,
बाजार से गुजरा हूं , पर खरीदार नही हूं !
२९ *रहिमन धागा प्रेम का मत तोडो चटकाए !
टूटे से फिर न जुडे ,जुडे गांठ पड जाए!!
Saturday, November 14, 2009
दोहे-2
१० *तुलसी कभी न छोडिये ,छमा सील संतोश !
११ *दया धर्म का मूल हे ,पाप मूल अभिमान
तुलसी दया न छोडिए , जब तक घट में प्राण!
१२ *गम सहकर भी मुस्कराओ दुनिया में,
होती यहां बुजदिलों की गुजर नहीं !
१३ जीने के लिए हसना भी जरूरी हे ,
रोअकर जिंदगी बसर नहीं होती !!
१४ वह चमन खाक में मिल जाया करते हें ,
जहां बागबां की पाक नजर नही होती!
अब भी वक्त हे सँभल ऐ नौजवान ,
जवानी उम्रभर साथ नहीं होती !!
१५ * हरि को तजूं में गुरु न बिसारूँ!
गुरु के सम हरि को न निहारूँ !!
१६ * जिस म्रने से जग डरे ,मेरे मन आनन्द,
और मर कर ही पाइये पूर्ण परमानन्द !
१७ *जय कल्याणी जय सुखदानी,
जय संतों की निर्मल वाणी !
क्रोध,लोभ,छल मान म्रर्दिनि,
शाशवत सुखदायनी निर्वाणी !!
१८ *सोभाग्य से घमंडी न बन ,
दुर्भाग्य से निराश न हो ,
जान बूझ कर खतरे में मत पड ,
यदि खतरा सामने आ जाये,
तो कायर बन कर उससे भाग न जा
दोहे-१
१ * प्रीति वही सराहिए ,मिले रंग होत दून !
जो हर्दी जर्दी तजे ,तजे सफेदी चून !!
२ * कोन हो तुम बसंत के दूत ,
विरस पतझड में अति सुकुमार !
घन तिमिर में चपला सी रेख ,
तपन में शीतल मंद बयार !
३ *कोई पत्ता भी टूटे तो दर्द मुझको हे नसीब !
सारे जहां का दर्द हमारे दिल में हे !!
४ *बदऊ संत चित हित अनहित न कोउ!
अंजुलिगत सुमन जेहिं सुगन्ध कर दोउ!!
५ *फागुन आता हे फूलों का त्योहार लिए ,
सावन आता हे मेघों का मल्हार लिए ,
दूहन ऐसा है संतों का जगहित जीवन ,
जब भी आता है खुशियों का उपहार लिए !!
६ *श्वास श्वास पर हरि भजो वृथा श्वास मत खोय !
न जाने या श्वास कोआवन होय न होय !!
७ *चलती चाकी देख कर दिया कबीरा रोए!
दो पाटन के बीच में बाकी बचा न कोए!!
८ *सबरी देख राम घर आए !
सुनि के बचन समुझि जिय भाए !!
९ *अजमाउंगा जमाने को अपने ही विकष में !
अगर खरा निकला तो मागूंगा खुदा बरकरार हे !
ए जमाने हम तुझ से नहीं ,हमसे तेरी पहचान हे 1
तुझे क्या पता?खुदा के भी हम महमान हें !